अचानक मुख्यमंत्री कैसे बन गए? CM तीरथ सिंह रावत ने दिया ये जवाब
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उत्तराखंड के नए सीएम तीरथ सिंह रावत ने मन की बातें शेयर कीं. (File)
फटी जींस पर बयान से विवादों में घिरे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत प्रदेश में विकास के काम को और गति देने की मुहिम में जुटे. कोरोना को लेकर जारी केंद्र सरकार की SOP के अनुरूप हरिद्वार कुंभ का भव्य आयोजन करने की कही बात.
तीरथ सिंह रावत को बीजेपी के सांसद से अचानक उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर भी चर्चाएं हो रही हैं. सीएम रावत ने इसका भी जवाब दिया है. नवभारत टाइम्स से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री रावत ने ‘अचानक आप मुख्यमंत्री कैसे बन गए?’ सवाल पर कहा कि पार्टी ने मेरा जहां उपयोग चाहा, मुझे वहां लगा दिया. पार्टी की मंशा के अनुरूप मैं काम करता रहा. मुझे इस पद पर भेजे जाने की कहीं कोई संभावना नहीं थी. मैं स्वयं इससे अंतिम समय तक बेखबर था कि मेरा भी नाम हो सकता है. केंद्रीय नेतृत्व की कोई नजर मुझ पर रही होगी. उसने मुझ पर विश्वास जताकर मेरे नाम को आगे बढ़ा दिया.
हम लोगों की अपेक्षाओं पर पूरे खरे उतरेंगे- रावत
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि राज्य में बीजेपी पिछले चार साल से सरकार में है. आज भी वही है. मैं मुख्यमंत्री बना और चार नए मंत्री बने, इस पर यह कहना कि परिवर्तन हो गया, ठीक नहीं है. जहां तक अपेक्षाओं का सवाल है तो हम जनता की अपेक्षाओं पर खरे उतरेंगे. केंद्र ने जो काम यहां के लिए शुरू किए, चाहे वह आजाद भारत में पहली बार पहाड़ पर रेल चलाने का काम हो या तीर्थों तक सड़कों को बढ़िया बनाने का काम या उज्ज्वला योजना के तहत गरीब घरों को नि:शुल्क गैस देने का काम या राज्य सरकार द्वारा किसानों और युवाओं को बिना ब्याज का ऋण उपलब्ध कराने का काम, ये सब काम लगातार आगे बढ़ रहे हैं.हरिद्वार कुंभ भव्य और दिव्य होगा – सीएम
मुख्यमंत्री ने कहा – मैंने तय किया है कि हरिद्वार कुंभ भव्य और दिव्य रूप से आयोजित हो. इसके लिए मैंने कई नए अधिकारी व्यवस्था के लिए वहां भेजे. कमिश्नर गढ़वाल को एक महीने वहीं कुंभ व्यवस्था में लगने को कहा. कुंभ 12 साल में एक बार आता है. मैंने कह दिया कि केंद्र की एसओपी का पालन कराकर मेला आयोजित कराओ. इसमें किसी को रोकना नहीं है, आने देना है.
रावत ने कहा कि हमारा प्रयास है कि यहां उद्योग आएंगे और यहीं लोगों को रोजगार देंगे. क्योंकि, अभी तक पहाड़ में सड़क मार्ग से बड़ी मशीनें और अन्य साजो-सामान ले जाना असंभव था, लेकिन चारधाम यात्रा मार्ग के बनने से यह संभव हो जाएगा.
परियोजना की वजह से नहीं आई कोई आपदा
किसी परियोजना से यह आपदा आई हो, ऐसा बिलकुल नहीं है. आपदा के आने का पूर्वाभास हो सके, इसके लिए सिस्टम बनाने का प्रयास रहेगा. जहां तक आपदा की बात है, जब यहां कोई परियोजना नहीं थी, आपदा तब भी आती थी. बिरही गंगा की आपदा इसका उदाहरण है.
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