उत्तराखंड

उत्तराखंड आपदा : चमोली में रेस्क्यू के लिए दो दिन राहत, फिर बारिश और बर्फबारी का अलर्ट

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चमोली में कल बारिश नहीं होगी तो बचाव और राहत कार्य में बाधा नहीं होगी.

चमोली में कल बारिश नहीं होगी तो बचाव और राहत कार्य में बाधा नहीं होगी.

मौसम विभाग ने भी सीडब्ल्यूसी को अगले दो दिनों तक बारिश नहीं होने की जानकारी दी है. बारिश नहीं होने से वहां चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में परेशानी नहीं आएगी. जबकि 10 फरवरी से हल्की बारिश होने की भी बात कही गई है.


  • News18Hindi

  • Last Updated:
    February 8, 2021, 12:02 AM IST

चमोली. उत्तराखंड (uttrakhand) के चमोली (Chamoli) जिले में ग्लेशियर फटने (Glacier Burst) की घटना के बाद राज्य और केन्द्र सरकार प्राकृतिक आपदा के प्रभाव से निपटने में पूरी तरह से जुट गई हैं. नेशनल क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी (National Crisis Management Committee) ने आपदा पर एक बैठक की है. इसमें सेंट्रल वॉटर कमीशन ने नदी के जलस्तर घटने की जानकारी दी है. कुछ गांव में बाढ़ के खतरे की बात भी कही है. वहीं, मौसम विभाग ने भी सीडब्ल्यूसी को अगले दो दिनों तक बारिश नहीं होने की जानकारी दी है. बारिश नहीं होने से वहां चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में परेशानी नहीं आएगी. जबकि 10 फरवरी से हल्की बारिश होने की भी बात कही गई है.

9-10 फरवरी को चमोली के कुछ हिस्सों में बारिश होगी

बताया गया है कि ग्लेशियर टूटने से मची तबाही के बाद चल रहे राहत और बचाव कार्य के लिए अगले दो दिन प्रभावित इलाकों में बारिश को लेकर कोई अड़चन नहीं होगी. मौसम विभाग के अनुसार यहां मौसम शुष्क रहेगा, जबकि चमोली जिले के उत्तरी हिस्से में 9 और 10 फरवरी को हल्की बारिश या बर्फबारी हो सकती है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की ओर से बताया गया है कि उत्तराखंड के चमोली, तपोवन और जोशीमठ में 7-8 फरवरी को प्रतिकूल मौसम की कोई आशंका नहीं है. ऐसे में ग्लेशियर टूटने से प्रभावित हुए क्षेत्रों में चल रहे बचाव कार्य के लिए यह काफी राहत की बात है.

खाली कराए गए तटवर्ती इलाकेग्लेशियर फटने की आपदा के बाद उत्तराखंड सरकार ने अलर्ट घोषित किया है. नदियों के उफान को देखते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ट्वीट कर कहा ‘यह घटना जोशीमठ से 26 किमी दूर रेनी गांव के पास हुई. धौलीगंगा नदी में बाढ़ आ गई और नदी किनारे के कई घर बह गए’. उन्होंने कहा ‘ऋषि गंगा और अलकनंदा पर बढ़ते जल के सुगम मार्ग की सुविधा के लिए टिहरी बांध से प्रवाह रोका गया. आपदा के कारण उच्चतर जल प्रवाह को प्रबंधित करने के लिए श्रीनगर बांध से सभी गांवों और तटवर्ती इलाकों को खाली करा दिया गया और श्रीनगर बांध से पानी का प्रवाह बढ़ा दिया गया है.’






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