उत्तराखंड आपदा : तपोवन सुरंग में मौत से जंग के वो 7 घंटे, 3 लोगों की जुबानी, उनकी कहानी– News18 Hindi
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(बाएं से दाएं) बसंत बहादुर, श्रीनिवास रेड्डी और वीरेंद्र कुमार गौतम
तपोवन की सुरंग से बचाए गए तीन खुशकिस्मत लोगों ने बताया कि कैसे उन्हें नई जिंदगी मिली. अंधेरी सुरंग में बिताए वे 7 घंटे उन्होंने कैसे डर और उम्मीद के बीच झूलते हुए गुजारी.
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- Last Updated : February 11, 2021, 8:40 pm IST
चंडीगढ़. उत्तराखंड (Uttarakhand) के चमोली (Chamoli) में ग्लेशियर टूटने (Glacier burst) के बाद आई आपदा के कारण भारी तबाही मची. यहां बड़ी तेजी से राहत और बचाव कार्य शुरू किया गया. राहत दल अब भी इस इलाके में लगातार काम कर रहा है. सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन की टीम पूरी मुस्तैदी के साथ अब भी जुटी पड़ी है. इस बीच तपोवन (Tapovan Tunnel) के एक सुरंग में फंसे सभी मजदूरों को निकाला जा चुका है और दूसरी सुरंग में फंसे लोगों को निकालने की कोशिशें जारी हैं. इस बीच हमारे संपर्क में 3 ऐसे लोग आए हैं जो तपोवन की सुरंग में लगभग 350 मीटर अंदर फंसे थे अपने-अपने दल के साथ फंसे थे और जिन्हें बचाव दल ने निकाल लिया है. उन्होंने बताया कि कैसे उन्हें नई जिंदगी मिली. अंधेरी सुरंग में बिताए वे 7 घंटे उन्होंने कैसे डर और उम्मीद के बीच झूलते हुए गुजारी.
बसंत बहादुर :
नेपाल के रहने वाले हैं बसंत बहादुर. उन्होंने बताया कि वे परियोजना के आउट फॉल में काम करते हैं. हादसे वाले दिन रोज की तरह वह सुरंग में काम करने के लिए 8 बजे सुबह चले गए थे. जब सैलाब आया था तो वह सुंरग में तकरीबन 300 मीटर अंदर थे. बाहर से आ रही अस्पष्ट आवाजें उन्हें सुनाई दे रही थीं. उन्हें लग रहा था जैसे कोई उन्हें खतरे से आगाह करके सुरंग से बाहर निकलने को कह रहा हो. वह बताते हैं कि एक भंयकर ब्लास्ट की आवाज उनके कानों में आई थी. फिर पानी के रेले ने उन्हें पूरी तरह डूबो दिया. वे अपने साथियों के साथ हिम्मत करके पास में खड़ी जेसीबी मशीन पर चढ़ गए. यह इत्तफाक ही था कि सुरंग के भीतर उस वक्त उनका मोबाइल काम कर रहा था. नेटवर्क इतना था कि बाहर बात हो रही थी. बैटरी भी पर्याप्त थी. वह लगातार अधिकारियों के संपर्क में रहे और शुक्र है कि रेस्क्यू टीम हम तक पहुंच गई.
श्रीनिवास रेड्डी :
एनटीपीसी में जियोलॉजिस्ट के पद पर कार्यरत हैं श्रीनिवास रेड्डी. वह बताते हैं कि हादसे के वक्त वह टनल में करीब 350 मीटर अंजर रहे होंगे. वह कहते हैं कि टनल में अचानक जब पानी और मलबा घुसा, तो वे सब सकते में आ गए. वहां फंसे हुए सबलोग एक-दूसरे को ढांढ़स बंधा रहे थे, एक उम्मीद दिला रहे थे. हिम्मत जुटा रहे थे. वह कहते हैं कि 7 घंटे तक मलबे और पानी में डूबे रहने के कारण हमसब के पांव बुरी तरह से सूज गए थे. लेकिन हम सारे साथी कई घंटे एक रॉड का सहारा लेकर खड़े रहे. वहां हम ऑक्सीजन की कमी की वजह से घुटन महसूस कर रहे थे. पर तभी सुरंग के ऊपरी हिस्से से मिट्टी गिरी और हवा आने लगी. हम आराम से सांस लेने लगे. उन्होंने बताया कि उनके बचने का असली कारण भी मोबाइल रहा. वह कहते हैं कि वह लगातार मोबाइल से एनटीपीसी के अधिकारियों से संपर्क साध रहे थे. संपर्क होते ही उन्हें और उनके साथियों को रेसक्यू टीम ने बाहर निकाल लिया.
वीरेंद्र कुमार गौतम :
वीरेंद्र कुमार गौतम को जब रेसक्यू टीम लेकर बाहर निकली, तो उनका खुशी का ठिकाना नहीं था. बल्कि बाहर निकलते ही उन्होंने जिस तरह से अपनी खुशी जाहिर की उसका वीडियो वायरल हो गया. वह कहते हैं कि जैसे ही टनल में पानी घुसा, बिजली कट गई. सब जगह घुप्प अंधेरा छा गया. तब सुरंग काफी भयानक लग रही थी. वह कहते हैं कि पानी का लेवल लगातार बढ़ रहा था. पहले घुटने तक आया तो उन्हें लगा कि कही बादल फट गया है. लेकिन पानी का लेवल लगातार बढ़ता गया. पानी हमारे सीने तक पहुंच चुका था और लग रहा था कि बस अब कुछ ही देर का खेल है. हमसब बेहद डरे हुए थे. पर तभी सीने तक पहुंचा पानी कम होने लगा. हमसब ने थोड़ी हिम्मत बांधी. अपने साथियों के साथ टनल में लगे रॉड के सहारे बाहर की ओर निकलने की कोशिश करने लगे. काफी देर तक प्रयास करने के बाद हमारे एक साथी के मोबाइल में नेटवर्क मिला और हमने बाहर संपर्क किया. इसी के सहारे रेस्क्यू टीम ने हमें ट्रेस कर बाहर निकाल लिया.
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