उत्तराखंड आपदा पर पूर्व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश का ट्वीट, बीती बातें याद करने के सिवा…– News18 Hindi
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रिपोर्ट में ग्लेशियर टूटने की संभावित जगह के बारे में कहा गया है कि 7120 मीटर ऊंची त्रिशूल चोटी से थोड़ा नीचे 5600 मीटर की ऊंचाई पर ग्लेशियर टूटा हो सकता है. इस घटनाक्रम में ग्लेशियर का एक बड़ा हिस्सा टूटकर पानी और पत्थर के रूप में नीचे गिरा होगा और बाद में यह हिम तूफान बाढ़ में बदल गया होगा. बाढ़ में बर्बाद प्रोजेक्ट की बात करें तो ऋषिगंगा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट 13.2 मेगावाट का था और रैणी गांव के पास बन रहा था. वहीं 520 मेगावाट का एनटीपीसी तपोवन-विष्णुगाड प्रोजेक्ट धौलीगंगा पर बन रहा था और यह पूरी तरह तबाह हो गया है.
बाढ़ के चलते जोशीमठ, तपोवन गांव, रिंगी गांव, रैणी गांव भी प्रभावित हुए हैं. इन गांवों में हुई तबाही की बात करें तो जोशीमठ में आर्मी का कंट्रोल रूम प्रभावित हुआ है. तपोवन गांव से दो लोग लापता हैं, रिंगी गांव से भी दो लोग लापता हैं और रैणी गांव से 5 लोगों के लापता होने की खबरें हैं. इस गांव में आर्मी के दो कॉलम की तैनाती की गई है. बता दें कि धौलीगंगा नदी उत्तराखंड के सबसे बड़े ग्लेशियल लेक वसुंधरा ताल से निकलती है और आगे चलकर गंगा नदी में मिल जाती है.
https://www.youtube.com/watch?v=ytmPnViOAac
बता दें कि उत्तराखंड आपदा में लोगों की मदद के लिए राहत और बचाव कार्य जोरों से चल रहा है. अभी तक 30 से ज्यादा शव बरामद किए गए हैं, जबकि 200 से ज्यादा लोग लापता हैं.
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