उत्तराखंड: चुफाल को मंत्री बनाकर तीरथ सरकार ने साधे जातीय समीकरण, ये है भाजपा की रणनीति
[ad_1]
उत्तराखंड कैबिनेट में चुफाल को शामिल कर राजपूतों को प्रभावित करने की कोशिश.
कुमाऊं के बिशन सिंह चुफाल (Bishan Singh Chuphal) उत्तराखंड में बड़ा चेहरा बनकर उभरे हैं. यही नहीं नए मंत्रीमंडल में चुफाल कुमाऊं के इकलौते राजपूत नेता है. यहां राजपूतों का कई क्षेत्रों में प्रभाव है.
उत्तराखंड में सीएम तीरथ रावत ने कैबिनेट के जरिए कुमाऊं, गढ़वाल के साथ ही मैदानी इलाकों को साधने की भी पूरी कोशिश की है. कैबिनेट गठन में कास्ट फेक्टर का भी ख्याल रखा गया है. गढ़वाल रीजन से मंत्रिमंडल में जहां 4 राजपूत चेहरों को जगह मिली है, वहीं कुमाऊं से ये सेहरा सिर्फ बिशन सिंह चुफाल के सिर बंधा है. तीरथ मंत्रीमंडल में चुफाल कुमाऊं से इकलौते राजपूत चेहरा हैं. ऐसे में बीजेपी को भरोसा है कि सभी क्षेत्र और जातियों को जरूरी प्रतिनिधित्व देना पार्टी के लिए फायदेमंद रहेगा.
बीजेपी सांसद अजय टम्टा कहते हैं कि उनकी पार्टी जातिवाद पर यकीन नहीं करती है, लेकिन कैबिनेट में सभी समुदायों के साथ ही क्षेत्रों को उचित जगह दी गई है. कुमाऊं की 29 विधानसभाओं में पहाड़ी इलाकों में राजपूतों की संख्या ज्यादा है. त्रिवेन्द्र सरकार में इन इलाकों को नजरअंदाज किया गया था, लेकिन तीरथ रावत ने चुफाल के जरिए जहां राजपूत फेक्टर का ख्याल रखा है, वहीं बंशीधर भगत के जरिए बाह्मणों को भी प्रतिनिधत्व दिया है. यही नहीं यशपाल और रेखा आर्या के जरिए दलित वोटर्स को खींचने की भी प्लानिंग की गई है, जबकि अरविंद पाण्डे के जरिए मैदानी इलाके को भी साधा गया है.
कांग्रेस नेता मनोज तिवारी कहते हैं कि बीजेपी ने नेतृत्व परिवर्तन के जरिए आंतरिक लड़ाई को शांत करने की कोशिश की है. इससे उत्तराखंड की जनता को कोई लाभ नहीं होगा. साथ ही तिवारी कहते हैं कि बीजेपी सरकारों ने मंगहाई को बेतहासा बढ़ाया है, जिसका जवाब विधानसभा चुनाव में उन्हें जनता देगी. बीजेपी की नई प्लानिंग क्या रंग दिखाएगी ये विधानसभा चुनावों के नतीजों से साफ हो जाएगा. तीरथ कैबिनेट में कुमाऊं के उन बड़े जिलों को भी जगह मिली है, जिन्हें लम्बे समय में सरकार में शामिल होने का इंतजार था.
[ad_2]
Source link