उत्तराखंड

उत्तराखंड: तपोवन सुरंग से दो और शव मिले, अब मृतकों की संख्या बढ़कर हुई 67

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इसके अलावा, 137 लोग अब भी लापता हैं जिनकी तलाश की जा रही है. (फाइल फोटो)

इसके अलावा, 137 लोग अब भी लापता हैं जिनकी तलाश की जा रही है. (फाइल फोटो)

एनडीआरएफ टीम (NDRF Team) ने बैराज साइट पर अब तक पांच शव निकाले हैं जिसके साथ ही अब तक आपदा में मारे गए 67 लोगों के शव बरामद हो चुके हैं.

तपोवन. उत्तराखंड (Uttarakhand) में तपोवन सुरंग (Tapovan Tunnel) से बचाव दलों ने शनिवार देर रात दो और शव बरामद किए जबकि सात फरवरी से चमोली के आपदाग्रस्त क्षेत्र में दबे लोगों की तलाश के लिए अभियान लगातार जारी है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीम ने तपोवन सुरंग से शनिवार देर रात दो और शव बरामद (Dead Body Recovered) किए जबकि शनिवार शाम को भी तीन शव निकाले गए थे.

एनडीआरएफ टीम ने बैराज साइट पर अब तक पांच शव निकाले हैं जिसके साथ ही अब तक आपदा में मारे गए 67 लोगों के शव बरामद हो चुके हैं. इसके अलावा, 137 लोग अब भी लापता हैं जिनकी तलाश की जा रही है.  चमोली की जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने बैराज साइट पर अतिरिक्त उत्खनक (एक्स्कवेटर) मशीन लगवा कर काम शुरू करवाया है. चमोली जिले की ऋषिगंगा घाटी में आई बाढ़ के समय एनटीपीसी की निर्माणाधीन 520 मेगावाट तपोवन- विष्णुगाड जलविद्युत परियोजना को हुई भारी क्षति के अलावा, रैंणी में स्थित 13.2 मेगावाट ऋषिगंगा जलविद्युत परियोजना भी बाढ़ से पूरी तरह तबाह हो गई थी.

पैदल झील तक पहुंचने की कोशिश करेगी
वहीं, कल खबर सामने आई थी कि उत्तराखंड के रैणी में हुए हिमस्खलन के बाद ऋषिगंगा के ऊपर बनी कृत्रिम झील का निरीक्षण करने के लिए रिसर्चरों का एक दल शनिवार को पैंग गांव पहुंचा, जो इसका आकलन करेगा कि इससे (कृत्रिम झील) नीचे के क्षेत्र के लिए कितना बड़ा खतरा पैदा हुआ है. टीम का नेतृत्व उत्तराखंड स्पेस एप्लिकेशन सेंटर (यूएसएसी) के निदेशक एमपीएस बिष्ट कर रहे हैं. इस टीम में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और यूएसएसी से चार-चार वैज्ञानिक शामिल हैं. यह टीम शनिवार शाम या रविवार तक पैदल झील तक पहुंचने की कोशिश करेगी.ऋषिगंगा के ऊपर बनी झील का निरीक्षण करेंगे
चूंकि रैणी ग्राम पंचायत के आसपास के क्षेत्र में सड़कें हाल ही में आई बाढ़ में बह गई हैं और विशाल इलाका दलदल में तब्दील हो गया है, इसलिए टीम के सदस्यों की झील तक की सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाया गया है. टीम के साथ नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग का एक पर्वतारोही दल और एसडीआरएफ के जवान भी हैं. यूएसएसी के निदेशक बिष्ट ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘हम हिमस्खलन के कारण राउथी धारा से भारी मात्रा में आई गाद से ऋषिगंगा के ऊपर बनी झील का निरीक्षण करेंगे.’’






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