उत्तराखंड

उत्तराखंड : त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार लेकर आई महिलाओं के लिए खास स्कीम, हो सकती है गेमचेंजर

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फिलहाल उत्तराखंड की महिलाओं को पशुचारा की तलाश में जंगल-जंगल भटकना पड़ता है.

फिलहाल उत्तराखंड की महिलाओं को पशुचारा की तलाश में जंगल-जंगल भटकना पड़ता है.

यह योजना है मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना. कैबिनेट से मंजूर हुई इस योजना के तहत महिलाओं को चारापत्ती के लिए जंगल न जाना पड़े, इसके लिए पशुओं के पौष्टिक आहार रियायती दरों पर दिए जाएंगे.


  • News18Hindi

  • Last Updated:
    February 25, 2021, 5:51 PM IST

देहरादून. उत्तराखंड (Uttarakhand) की त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) की सरकार ने महिलाओं के सिर का बोझा कम करने के उद्देश्य से एक नई योजना (scheme) को मंजूरी दे दी है. यह योजना है मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना. योजना के तहत महिलाओं को चारापत्ती के लिए जंगल न जाना पड़े, इसके लिए पशुओं के पौष्टिक आहार रियायती दरों पर दिए जाएंगे.

योजना को मिली कैबिनेट मीटिंग में हरी झंडी

गुरुवार को हुई राज्य कैबिनेट की मीटिंग में योजना को हरी झंडी दे दी गई. इस योजना के अंतर्गत उत्तराखंड के दूरस्थ ग्रामीण पर्वतीय क्षेत्रों के पशुपालकों को पैक्ड सायलेज, संपूर्ण मिश्रित आहार (Total Mixed Animal Ratton TMR) उनके घर पर दिया जाएगा. इसका मकसद है कि रियायती दरों पर सायलेज और टीएमआर फीड ब्लॉक में उपलब्ध करा कर महिलाओं को चारा काटने के कार्य से मुक्त किया जाए. घर पर ही चारा मिल जाने से पशुपालकों को चारे के लिए जंगल-जंगल नहीं भटकना होगा. साथ ही पशुओं के स्वास्थ्य और दूध की पैदावार में दोहरा लाभ होगा.

मक्का की सामूहिक सहकारी खेती से जोड़े जाएंगे किसानयोजना के तहत लगभग दो हजार से अधिक कृषक परिवारों को उनकी दो हजार एकड़ से अधिक भूमि पर मक्का की सामूहिक सहकारी खेती से जोड़ा जाएगा. इसके लिए मक्का उत्पादक किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाए जाने की व्यवस्था की गई है. तो दूसरी ओर पशुपालकों को उनके पशुओं के लिए पौष्टिक चारा भी मिलेगा और पहाड़ों में महिलाओं के सर से बोझा भी कम हो जाएगा. इस पूरी परियोजना की लागत 19 करोड़ आंकी गई है.

महिलाओं को पशुचारे के लिए नहीं भटकना होगा जंगल-जंगल

इससे पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार महिलाओं को पति की जमीन में सह खातेदार बनाने की अपनी योजना को भी मंजूरी दे चुकी है. पर्वतीय क्षेत्रों की आर्थिकी महिलाओं के इर्द गिर्द घूमती है. सुबह-शाम तक चारा पत्ती, लकड़ी के लिए जंगल-जंगल भटकना एक बड़ी समस्या रही है. जंगल जाने के दौरान कभी जंगली जानवरों के हमले तो कभी पहाड़ी से गिरकर मौत हो जाने जैसे हादसे आए दिन होते रहते हैं.

इस स्कीम के राजनीतिक मायने

इसके बड़े राजनीतिक मायने भी हैं. उत्तराखंड में महिला और पुरुष मतदाताओं की संख्या बराबर है. चुनावी डेटा बताता है कि उत्तराखंड में जब-जब मतदान हुआ महिला मतदाताओं का मतदान प्रतिशत पुरुष मतदाताओं की अपेक्षा अधिक रहा है.






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