उत्तराखंड में 10000 टिहरी बांध विस्थापितों पर 21 करोड़ रुपए बकाया, कट सकता है पानी और सीवर का कनेक्शन
[ad_1]
सरकार उसकी बकाया राषि का भुगतान करे या फिर वो खुद विस्थापितों से वसूले. (सांकेतिक फोटो)
टिहरी बांध बनने से विस्थापित हुए परिवारों के ऊपर पिछले लगभग 15 साल का पानी और सीवर का बिल बकाया. जल संस्थान ने सरकार को बिल के लिए भेजा पत्र. नई टिहरी से ऋषिकेश, देहरादून और हरिद्वार के आसपान इन लोगों को बसाया गया है.
टिहरी बांध बनने के बाद इससे प्रभावित हुए परिवारों को 2006 के आसपास नई टिहरी से लेकर ऋषिकेश के खांडगांव, पशुलोक, हरिद्वार के श्यामपुर, देहरादून के देहराखास, बंजारावाला में विस्थापित किया गया. विस्थापित परिवार करीब दस हजार की संख्या में हैं. टिहरी बांध विस्थापितों के लिए कई सिफारिशें करने वाली हनुमंत राव कमेटी की रिपोर्ट को आधार मानकर विस्थापित 2006 से न पानी का बिल देते हैं और न सीवर का साल 2018 तक पानी और सीवर शुल्क की ये राशि पंद्रह करोड़ पहुंच गई थी. आज की डेट में ये राशि बढ़कर 21 करोड़ के पार पहुंच गई है. अब जल संस्थान चाहता है कि या तो सरकार उसकी बकाया राषि का भुगतान करे या फिर वो खुद विस्थापितों से वसूले.
शुल्क माफी और वसूली के लिए कमेटी
न्यूज 18 की जांच में पता चला कि साल 2017-18 में जल संस्थान द्वारा बिल भेजने का टिहरी बांध विस्थापितों ने विरोध किया. उनका कहना था कि हनुमंत राव कमेटी की सिफारिश के अनुसार सरकार उनको पेयजल और सीवर कनेक्शन की सुविधा नि:शुल्क देगी. मार्च 2019 में राज्य कैबिनेट ने फैसला लिया कि टिहरी बांध विस्थापितों के साल 2018 तक के बिल माफ कर दिए जाएं और इसकी एवज में 2018 तक का शुल्क पंद्रह करोड़ रुपए राज्य सरकार जल संस्थान को देगी. भविष्य में शुल्क की वसूली किस प्रकार से हो ये तय करने के लिए 2019 में तत्कालीन पेयजल मंत्री प्रकाश पंत की अध्यक्षता में एक कैबिनेट सब कमेटी बना दी गई.
शुल्क माफी और वसूली के लिए कमेटी
[ad_2]
Source link