उत्तराखंड

उत्‍तराखंड हादसे से पहले और बाद की सैटेलाइट तस्‍वीरें आईं सामने, दिखी तबाही– News18 Hindi

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नई दिल्‍ली. उत्‍तराखंड (Uttarakhand) के चमोली (Chamoli) में ग्‍लेशियर (Glacier) टूटने की वजह से धौलीगंगा नदी (Dhauliganga River) में आई जल प्रलय के कारण अब तक करीब 26 लोगों की मौत हो चुकी है. इसके साथ ही 197 से अधिक लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं. इस प्रलय में तपोवन और रैणी गांव के आसपास का इलाका पूरी तरह से बर्बाद हो गया है. अब इस प्रलय के पहले और बाद की ग्‍लेशियर की सैटेलाइट तस्‍वीरें सामने आई हैं. इनमें देखा जा सकता है कि कैसे यह घटना इतनी बड़ी जल प्रलय में तब्‍दील हुई.

एनडीटीवी में प्रकाशित रिपोर्ट में planet labs Inc की ओर से मुहैया कराई बई ग्‍लेशियर की घटना के पहले और बाद की सैटेलाइट तस्‍वीरों में प्रलय की भयावहता देखी जा सकती है. इनमें एक फोटो प्रलय के पहले यानी 6 फरवरी की है. इसमें ग्‍लेशियर की चोटी बिना कोई नुकसान हुए साफ दिख रही है. इसके बाद दूसरी फोटो 7 फरवरी की है. इसमें चोटी को देखा जा सकता है, जिसमें वो पूरी तरह से टूटी हुई दिख रही है. साथ ही धौलीगंगा नदी में बढ़ रहे जल प्रलय में धूल, कीचड़ और बर्फ का गुबार भी देखा जा सकता है. वैज्ञानिक इस घटना का सटीक कारण पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं.

वहीं इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग के द्वारा सैटेलाइट बेस्ड असेसमेंट में दावा किया कि संभव है कि चमोली के इस ग्‍लेशियर पर भूस्खलन के चलते हिमस्खलन हुआ हो. डिजास्टर मिटिगैशन और मैनेजमेंट सेंटर के कार्यकारी निदेशक पियूष रौतेला ने कहा, ‘7 फरवरी के सैटेलाइट डेटा से स्पष्ट है कि 5,600 मीटर की ऊंचाई पर ग्लेशियर के टर्मिनस पर भूस्खलन से हिमस्खलन शुरू हो गया, जिससे धौलीगंगा नदी की ओर तेजी से बाढ़ आ गई.

उत्तराखंड स्थित चमोली में आई आपदा के बाद राहत और बचाव कार्य में लगी टीमें 197 कामगारों को ढूंढ़ निकालने के लिए लगी हुई हैं. राज्य, केंद्र के आपदा मोचन बल और सैन्य इकाईयों के 500 से अधिक जवान फिलहाल तपोवन हायडल प्रोजेक्ट के टनल में फंसे 34 या इससे ज्यादा लोगों की खोज जारी रखे हुए हैं.



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