कॉर्बेट और उसके आसपास के जंगलों में मनुष्यों और वन्य जीवों में बढ़ रहा टकराव, 13 साल में 24 लोगों की मौत
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यहां के गौजानी में बीते 31 जनवरी को करंट लगने से एक हाथी की मौत हो गई थी. हाथी को करंट इसलिए लगा था क्योंकि किसान ने वन्य जीवों से अपने खेत में उगी गेहूं की फसल को बचाने के लिए बल्ब लगाया था. हाथी ने उस बल्ब को अपनी सूंड से लपक लिया, जिससे वो करंट की चपेट में आ गया. ग्रामीण ललित उप्रेती कहते हैं कि जंगल से लगे उनके गांव हमेशा से वन्य जीवों के खतरे के साये में हैं. वन महकमे के पास इस टकराव को रोकने की कोई ठोस योजना नही है जिसके कारण यह टकराव बढ़ रहा है.
वहीं ग्रामीण महेश जोशी की मानें तो वन्य जीवों की बढ़ रही आबादी मनुष्यों पर भारी पड़ने लगी है. अकेले कॉर्बेट में 252 बाघ, करीब 1300 हाथी, गुलदार, नीलगाय, हिरन हैं. जिससे टकराव बढ़ रहा है.
बीते 13 वर्षों में बाघ से हुए टकराव में हुई मानव क्षति पर डालते हैं..चार फरवरी, 2009- भगवती देवी
छह फरवरी, 2010- कांति देवी
12 नवंबर, 2010- नंदी देवी
18 नवंबर, 2010- कल्पना महरा
29 नवंबर, 2010- रेवती देवी
11 जनवरी, 2011- शांति देवी
27 जनवरी, 2011- पूरन चंद्र
20 जनवरी, 2013- राकेश कुमार
14 जनवरी, 2014- हरनंदी
नौ फरवरी, 2014- रामचरण सिंह
25 मार्च, 2014- कृपाल
28 फरवरी, 2016- ममता
छह सितंबर, 2016- गोविंदी देवी
17 सितंबर, 2016- परमजीत
22 मार्च, 2016- कृष्णपाल सिंह
08 अप्रैल, 2016- हरि राम
03 नवंबर, 2018- पंकज
17 मार्च, 2017- भगवती देवी
17 मार्च, 2017- लखपत सिंह
20 सितंबर, 2018- वीरेंद्र सिंह
15 जुलाई, 2019- सोहन सिंह
13 अगस्त, 2019- बिशन राम
20 सितंबर, 2019- राजेश नेगी
11 फरवरी, 2021- कमला देवी

हाथियों के झुंड अक्सर भोजन की तलाश में गांवों और खेतों में घुस आते हैं इससे मनुष्यों के साथ उनका टकराव बढ़ रहा है
बीते 13 वर्षों के बाघ के हमलों में हुई मौत के आंकड़े यह बताने के लिए काफी हैं कि यहां किस कदर संघर्ष बढ़ रहा है. कॉर्बेट के निदेशक राहुल कहते हैं कि कॉर्बेट और उससे लगे वन प्रभाग एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. वन्य जीवों के आपसी संघर्ष में जंगली जानवर अपने लिए नया साम्रज्य बनाते हैं. ऐसे समय मनुष्यों के साथ इनके टकराव की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. उन्होंने कहा कि वन विभाग ऐसे में इन वन्य जीवों पर पूरी नजर रखता है.
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