जलवायु परिवर्तन से यह भी
डेढ़ डिग्री तक की वृद्धि से आठ प्रतिशत पौधे अपनी आधी से ज्यादा किस्में खो देंगे। अगर तापमान में दो डिग्री तक का इजाफा हुआ, तो यह आंकड़ा 16 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा। कई जीवों और पौधों के लिए बढ़ते तापमान के मुताबिक ढलना अभी से ही मुश्किल हो रहा है।
जलवायु परिवर्तन का किन किन मोर्चों पर असर हो रहा है, इस बारे में अभी दुनिया में पूरी चेतना नहीं है। दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि इन खतरनाक परिणामों पर चर्चा भी मामूली होती है। ऐसी बातों को मीडिया में हाशिये पर जगह मिलती है। जबकि हर ऐसी समस्या जलवायु परिवर्तन के व्यापक खतरों से जुड़ी है। हाल में ‘वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर’ (डब्लूडब्लूएफ) ने एक नए पहलू की तरफ ध्यान खींचा है। डब्लूडब्लूएफ ने संयुक्त राष्ट्र के ‘इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज’ (आईपीसीसी) की एक रिपोर्ट के आधार पर ये बात सामने रखी है। आईपीसी ने बताया है कि ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण तापमान में डेढ़ से दो डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि का क्या असर होगा। ताजा जानकारी के मुताबिक डेढ़ डिग्री तक की वृद्धि से आठ प्रतिशत पौधे अपनी आधी से ज्यादा किस्में खो देंगे। अगर तापमान में दो डिग्री तक का इजाफा हुआ, तो यह आंकड़ा 16 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा। कशेरुकियों में यह आंकड़ा चार से आठ प्रतिशत तक रहने की आशंका है। कई जीवों और पौधों के लिए बढ़ते तापमान के मुताबिक ढलना अभी से ही मुश्किल हो रहा है, जबकि अभी दुनिया के और गर्म होने की आशंका है।
डब्लूडब्लूएफ ने कहा है कि ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण पूरी दुनिया में जीवों और पौधों पर असर पड़ा है। अपनी एक रिपोर्ट ‘फीलिंग द हीट’ में संगठन ने बताया कि मौसम की अतिरेकता से जुड़ी घटनाएं, मसलन- गरम हवा के थपेड़े, सूखा और बाढ़ के कारण जानवरों और पौधों की दुनिया बहुत प्रभावित हो रही है। बढ़ते तापमान के मुताबिक ढलना अभी से ही उनके लिए बहुत मुश्किल साबित हो रहा है। जलवायु परिवर्तन के कारण पैदा होने वाला संकट सुदूर भविष्य से जुड़ी कोई अवधारणा नहीं है। यह हमारे वर्तमान में पहुंच चुका है। हमारे दरवाजे पर खड़ा है। जैसे-जैसे जलवायु गर्म होता जाएगा, हम पर पडऩे वाला दबाव भी बढ़ता जाएगा। डब्लूडब्लूएफ की ताजा रिपोर्ट में जीवों और पौधों की 13 चुनी हुई प्रजातियों पर जलवायु संकट के असर का ब्योरा है। इन प्रजातियों में यूरोप की कुछ मूल प्रजातियां भी शामिल हैं। मसलन- कोयल, बंबल बी, और बीच लाइलाक। ये सभी संरक्षित प्रजातियों में आते हैं। तेजी से गरम हो रही धरती और ध्रुवों के बढ़ते तापमान के कारण समुद्र के जलस्तर में हो रही वृद्धि से इन जीवों के अस्तित्व पर खतरा पैदा हो चुका है।