उत्तराखंड

उत्तराखंड कांग्रेस में ‘महाभारत’, हरीश रावत ने ‘अपनों’ के खिलाफ खुलकर खोला मोर्चा

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ऊत्तराखंड कांग्रेस में जो चल रहा है, वो पिछले चार साल में किसी से छिपा नहीं है...

ऊत्तराखंड कांग्रेस में जो चल रहा है, वो पिछले चार साल में किसी से छिपा नहीं है…

Uttarakhand congress resent: उत्तराखंड में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं लेकिन कांग्रेस में गुटबाजी थमने का नहीं ले रही. कांग्रेस ने अपने साथ नए कार्यकर्ताओं को जोड़ने के लिए सोशल मीडिया पर कैंपेन चलाया हुआ है लेकिन पूर्व सीएम हरीश रावत ट्विटर पर अपने विरोधियों के खिलाफ खुलकर हमला कर रहे हैं.

देहरादून. एक-दो दिन पहले कॉर्डिनेशन के सवाल पर पूर्व सीएम हरीश रावत ने कमेंट करने से मन कर दिया था, लेकिन सोशल मीडिया पर उन्होंने कमेंट करके अपनों पर निशाना साधा. अपनों ने भी कह दिया कि चेहरा दिल्ली तय करेगा, फेसबुक और सोशल मीडिया नहीं. कांग्रेस अपने साथ नए कार्यकर्ता जोड़ने के लिए ज्वॉइन सोशल मीडिया कैंपेन चला रही है, लेकिन उसी सोशल मीडिया के जरिये पूर्व सीएम हरीश रावत ने विरोधियों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. पूर्व सीएम हरीश रावत ने फिर फेसबुक पर लिखा है,  “2017 में मैं दो सीट से चुनाव हारा, लेकिन सवाल आज तक पूछे जा रहे हैं और इनमें वो लोग हैं, जिन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्रों से बाहर प्रचार तक नहीं किया.”

रावत ने ये तक कह दिया कि 2017 की हार के बाद भी पार्टी चुनाव हारी, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा. यानी रावत ने इशारों में सबको लपेट लिया लेकिन हैरानी की बात ये भी है, कि एक दिन पहले वह को-ऑर्डिनेशन बनाने पर कुछ कहना नहीं चाहते थे. फिर ऐसा क्या हुआ कि अपनों पर ही फूट पड़े. पहले आपको बता दें कि क्या कांग्रेस के बड़े नेताओं के बीच को-ओर्डिनेशन होना चाहिए. इस पर हरीश रावत ने कहा क्या था?

हरीश रावत ने कहा था कि मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता, लेकिन प्रभारी को-ऑर्डिनेशन की मीटिंग के लिए बुलाएंगे तो मैं जरूर जाऊंगा. कांग्रेस में साफ है कि इंदिरा ह्रदयेश, प्रीतम सिंह, हरीश रावत के बीच जब केमेस्ट्री नहीं बन पा रही, तो को-ऑर्डिनेशन दूर की बात है. वहीं अब हरीश रावत पर वो भी
हमले कर रहे हैं, जो कभी उनके पक्के सिपाही कहे जाते थे. हरीश रावत सरकार में औद्योगिक सलाहकार रहे रंजीत रावत का कहना है कि अगर चेहरा बनाना है, तो दिल्ली बात करें, फेसबुक और सोशल मीडिया में लिखने से कुछ नहीं होगा.ऊत्तराखंड कांग्रेस में जो चल रहा है, ये पिछले चार साल में किसी से छिपा नहीं है और हैरानी की बात ये है कि जिन नेताओं को समन्वयन बनाना है, उन्हीं की बातें, को-ऑर्डिनेशन बिगाड़ रही है. जिस सोशल मीडिया से कार्यकर्ताओं को जोड़ने का कैंपेन चलाया जा रहा है, उसी सोशल मीडिया में चेहरे से लेकर राजनीतिक हैसियत की जंग छिड़ी है.






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