उत्तराखंड

50 से 70 हजार रुपये में शुरू कर सकते हैं यह ब‍िजनेस, सेल्फ एंप्लॉयमेंट का है सबसे अच्‍छा ऑप्‍शन

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अब पिग फार्मिग यहां स्वरोजगार का जरिया बन रहा है.

अब पिग फार्मिग यहां स्वरोजगार का जरिया बन रहा है.

Uttarakhand News: कई लोग मुर्गी पालन के साथ बकरी पालन से जरूर पहाड़ में जुड़े हैं, लेकिन अब पिग फार्मिग यहां स्वरोजगार का जरिया बन रहा है.

रोजगार उत्‍तराखंड के लिए एक बड़ा सवाल रहा है. हालांकि कई लोग मुर्गी पालन के साथ बकरी पालन से जरूर पहाड़ में जुड़े हैं, लेकिन अब पिग फार्मिग यहां स्वरोजगार का जरिया बन रहा है.

पहाड़ में पिग फार्मिंग भी अब स्वरोजगार का जरिया बन रहा है. खुर्पाताल में दिवान सिंह के परिवार ने इसे आय का जरिया बनाया है. किसान दिवान सिंह के दोनों बेटे इस काम से जुड़े हैं तो गांव के पास ही सूअरों का प्रजनन कर इस काम को आगे बढ़ाया जा रहा है. इसके लिये इन पालतू सूअरों के लिये बाड़े तैयार किए हैं तो कोई दिक्कतें ना हो इसके लिये भी पूरा ख्याल रखा गया है. हालांकि पिछले कुछ सालों से चल रहे इस काम का अब फायदा मिलने लगा है.

दरअसल, दिवान सिंह के बेटे ने स्टेट बैंक की कैंटिन में काम किया, लेकिन 25 साल बाद नौकरी छोड़ अपने इस कारोबार से जुड़े गए. इससे पहले यहां पर मुर्गी पालन किया और मशरूम उत्पादन में भी नुकसान झेलना पड़ा है तो 50 से 70 हजार में शु्रू इस फार्मिंग में आय बढ़ने लगी है. अपने संसाधनों से चल रहे इस स्वरोजगार में पानी बिजली और सड़क की सरकारी मांग रही लेकिन परिणाम सिफर ही रहा है. हालांकि इस कारोबार को स्थानीय जनप्रतिनिधी भी फायदेमंद मानते हैं.

खुर्पाताल प्रधान मोहनी कनवाल ने बताया क‍ि बहरहाल सरकार का फोकस है कि लोग अपने घरों में स्वरोजगार से जुडें और इन लोगों ने ये साबित भी किया है. हालांकि सरकार अगर ऐसे लोगों की मदद करें तो इस तरह की फार्मिंग को आगे बढ़ाया जा सकते है.






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