Chamoli Disaster: वैज्ञानिकों ने जताई आशंका, इस वजह से आई भयंकर आपदा
[ad_1]
वैज्ञानिकों की माने तो अल्पाइन ग्लेशियर स्नो एवलांच व टूटने के लिहाज से बेहद खतरनाक है.
वाडिया इंस्टीट्यूट आफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों का कहना है कि उत्तराखंड में ज्यादातर ग्लेशियर अल्पाइन ग्लेशियर (Alpine Glacier) हैं.
संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एसके राय ने कहा कि चमोली जिले के नीति घाटी स्थित जिस क्षेत्र में भयावह आपदा आई है उस क्षेत्र में पिछले दिनों बारिश के साथ ही जमकर बर्फबारी हुई थी. ऐसे में ऊपरी क्षेत्राें में काफी मात्रा में बर्फ जमा हो गई. संस्थान के वैज्ञानिकों के मुताबिक जैसे ही तापमान कम हुआ तो ग्लेशियर कठोर हो गए. ऐसे में आशंका है कि जिस क्षेत्र में आपदा आई वहां टो इरोजन होने की वजह से ऊपरी सतह तेजी से बर्फ और मलबे के साथ नीचे खिसक गई होगी.
ग्लेशियर के खिसकने व टूटने का बड़ा खतरा रहता है
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वाडिया इंस्टीट्यूट आफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों का कहना है कि उत्तराखंड में ज्यादातर ग्लेशियर अल्पाइन ग्लेशियर हैं. वैज्ञानिकों की माने तो अल्पाइन ग्लेशियर स्नो एवलांच व टूटने के लिहाज से बेहद खतरनाक है. ऐसे में अधिक ठंड के मौसम में पर्वतीय क्षेत्रों में होने वाली बारिश और बर्फबारी के चलते अल्पाइन ग्लेशियर कई लाख टन बर्फ का भार बढ़ जाता है. इसकी वजह से ग्लेशियर के खिसकने व टूटने का बड़ा खतरा रहता है. एक में दो सदस्य हैं और एक अन्य में तीन सदस्य हैं
वहीं, कुछ देर पहले खबर सामने आई थी कि वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कलाचंद सैन ने कहा है कि उत्तराखंड के चमोली जिले में नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटने के बाद आई व्यापक बाढ़ के कारणों का अध्ययन करने के लिए ग्लेशियर के बारे में जानकारी रखने वाले वैज्ञानिकों (ग्लेशियोलॉजिस्ट) की दो टीमें जोशीमठ-तपोवन जाएंगी. सैन ने कहा कि ग्लेशियोलॉजिस्ट की दो टीम हैं– एक में दो सदस्य हैं और एक अन्य में तीन सदस्य हैं.
[ad_2]
Source link