Chamoli Glacier Burst: लोगों ने भागो-भागो की लगाई आवाज, पर नदी की भयंकर गर्जना में दब गया शोर
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देखते ही देखत बैराज और टनल मलबे में दफन हो गया.
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि नदी का ऐसा प्रलयंकारी स्वरूप उन्होंने आज तक कभी नहीं देखा था. रैणी गांव (Raini Village) के निवासियों ने बताया कि सुबह 9:30 बजे अचानक ऊंचे हिमालयी क्षेत्र से सफेद धुएं के साथ नदी मलबे को बहाकर ला रही थी.
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि उन्होंने नदी का ऐसा प्रलयंकारी स्वरूप आज तक कभी नहीं देखा था. रैणी गांव के शंकर राणा ने बताया कि सुबह 9:30 बजे अचानक ऊंचे हिमालयी क्षेत्र से सफेद धुएं के साथ नदी मलबे को साथ बहाकर ला रही थी. नदी की डरावनी आवाज से लोग घरों से बाहर निकल गए थे. वहीं, तपोवन-विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना के निर्माण को लेकर मजदूर काम कर रहे थे. जैसे ही धौली गांव का जलस्तर बढ़ने लगा, लोगों में अफरा-तफरी मच गई. कई लोग बैराज पर काम कर रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भागने के लिए आवाजें लगा रहे थे. तेज गर्जना से मजदूरों को कुछ सुनाई नहीं दिया और देखते ही देखत बैराज और टनल मलबे में दफन हो गया.
इस बीच, खबर है कि वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कलाचंद सैन ने कहा है कि उत्तराखंड के चमोली जिले में नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटने के बाद आई व्यापक बाढ़ के कारणों का अध्ययन करने के लिए ग्लेशियर के बारे में जानकारी रखने वाले वैज्ञानिकों (ग्लेशियोलॉजिस्ट) की दो टीमें जोशीमठ-तपोवन जाएंगी. सैन ने कहा कि ग्लेशियोलॉजिस्ट की दो टीम हैं– एक में दो सदस्य हैं और एक अन्य में तीन सदस्य हैं.
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