राष्ट्रीय

पूर्वी लद्दाख में LAC पर चीन का सामना करने में भारतीय सेना की मदद करेंगे डबल हंप कैमल

लेह।  वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ गतिरोध जारी है। दोनों देशों के एक लाख सैनिक सीमा पर तैनात हैं। इस बीच बदलते मौसम और आगे के कुछ महीनों में आने वाले कड़ाके के सर्द मौसम के लिए भारतीय सेना की तैयारी जारी है। सर्द मौसम में सीमा पर लंबे समय तक के लिए टिके रहने के लिए वहां चिकित्सा, सैन्य और अन्य जरूरी सामान पहुंचाए जाने के लिए बर्फीले रास्तों को जारी रखने और पुलों को मजबूत किया जा रहा है।

इसी कड़ी में रक्षा अनुसंधान एवं विकास (DRDO) ने डबल हंप कैमेल यानी दो कूबड़ों वाले ऊंट पर अपना रिसर्च पूरा कर लिया है और आने वाले दिनों में सीमा की अग्रिम चौकियों पर सैनिकों को राशन और हथियार पहुंचाने में मदद करेगा। बीते साल वायुसेना में शामिल हुआ चीनूक एक ओर जहां टैंक ले जाएगा वहीं ये ऊंट छोटे हथियार और रसद लेकर जाएंगे।

आने वाले दिनों में इन ऊंटों की बड़ी भूमिका हो सकती है। ये ऊंट 17 हजार फीट की ऊंचाई तक ये 170 किलो के राशन और हथियार ले जाने में सक्षम हैं। इसके साथ ही ऊंट पैट्रोलिंग में मदद करेंगे। कर्नल मनोज बत्रा ने संवाददाता अरुण कुमार सिंह के सवालों का जवाब देते हुए जानकारी दी कि ये ऊंट इस परिवेश में ढला हुआ है ऐसे में सेना को इनसे काफी मदद मिलेगी।

कर्नल ने बत्रा ने बताया कि जिन इलाकों में हम सामान नहीं पहुंचा पा रहे थे वहां हथियार, रसद, साज-ओ-सामान लेकर ये ऊंट लेकर जा सकते हैं। ये ऊंट तीन दिन तक बिना पानी के रह सकते हैं और आर्मी एनिमल के तौर पर फिट है।  बताया कि इनकी मदद से हमारी सैन्य क्षमता बढ़ जाएगी।उन्होंने कहा कि आने वाले 6 महीने के भीतर ये ऊंट तैनात कर दिए जाएंगे।

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