शिक्षा

शिक्षा विभाग में अपनी ढपली अपना राग, चहेतों के लिए एक्ट दरकिनार, बीमार शिक्षक कर रहे तबादलों का इंतजार

देहरादून। शिक्षा विभाग में शून्य सत्र के बावजूद पूरे साल तबादलों एवं शिक्षकों की संबद्धता का खेल चलता रहा, लेकिन बीमार शिक्षक तबादले का इंतजार ही करते रह गए। धारा 27 के तहत मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति की सिफारिश एवं शासन के आदेश के बाद भी पिछले दो साल से करीब 80 बीमार शिक्षकों को तबादलों का इंतजार है।

शिक्षा विभाग की ओर से 19 फरवरी 2020 को आदेश जारी कर गंभीर बीमार शिक्षकों के तबादलों के लिए आवेदन मांगे गए थे। तबादला एक्ट की धारा 27 के तहत इस तरह के बीमार शिक्षकों ने अनुरोध के आधार पर तबादलों के लिए आवेदन किया था। 22 मार्च 2021 को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति ने इस तरह के शिक्षकों के तबादलों की सिफारिश की थी।

मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति की सिफारिश के बाद कार्मिक विभाग की ओर से 13 अप्रैल 2021 को इस संबंध में आदेश जारी किया गया, लेकिन इन शिक्षकों के अब तक तबादले नहीं हो पाए हैं। जबकि प्रदेश में विधान सभा चुनाव से पहले लगभग 700 से अधिक शिक्षकों के तबादले किए गए।

इसके अलावा भी विभाग में पूरे साल शिक्षकों की संबद्धता और गुपुचप तरीके से तबादलों का खेल जारी रहा। विभाग में अब जबकि विधानसभा चुनाव से पहले हुए शिक्षकों के तबादलों से आचार संहिता की वजह से लगी रोक हट गई है और इन शिक्षकों को विभिन्न स्कूलों में तैनाती दी जा रही है। तब भी 80 से अधिक गंभीर बीमार शिक्षक तबादलों का इंतजार कर रहे हैं।

जितेंद्र सिंह, अध्यक्ष राजकीय प्राथमिक शिक्षक एसोसिएशन का कहना है कि गंभीर बीमार शिक्षकों के पहले तबादले के आदेश के बाद भी उनके तबादले नहीं हुए। जबकि चुनाव से पहले जिन शिक्षकों के तबादलों के आदेश हुए उनके तबादले कर दिए गए हैं। ऐसा कर बीमार शिक्षकों के साथ मजाक किया गया है।

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