Kumbh Mela: इस दिन होंगे हरिद्वार महाकुंभ में विशेष शाही स्नान! ये रही तिथि
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मान्यता है कि कुंभ के दौरान विशेष स्नानों वाली तिथियों के दिन इस दौरान ग्रहों की विशेष दशा होती है. (सांकेतिक फोटो)
कुंभ मेले की तैयारियों में लगे उप मेला अधिकारी हरबीर सिंह (Harbir Singh) के मुताबिक, विशेष स्नान की 5 तारीखें तय हैं, जिनमें से तीन शाही स्नान हैं.
सरकार ने जारी की एसओपी: हालांकि हिंदू धर्मशास्त्रों के मुताबिक, हरिद्वार में महाकुंभ शुरु हुए कई दिन हो चुके हैं. करोड़ों श्रद्धालु स्नान कर घर लौट चुके हैं. लेकिन सरकार ने 1 से 30 अप्रैल तक कुंभ का ऑफिशियल नोटिफिकेशन जारी कर दिया है.
12 अप्रैल को चैत्र-सोमवती अमावस्या शाही स्नान: हरिद्वार महाकुंभ का पहला शाही स्नान 11 मार्च को चुका है. लेकिन दूसरा शाही स्नान 12 अप्रैल. 2021 को चैत्र अमावस्या और सोमवती अमावस्या के दिन होगा. मान्यता है कि अमावास्या के दिन स्नान और दान करने से बड़ा पुण्य प्राप्त होता है. इस दिन पितरों का तर्पण-पिंडदान भी किया जाता है.
साधु-संत गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाएंगे 13 अप्रैल को स्नान है. साथी ही 13 अप्रैलको नव सम्वत्सर स्नान होगा. इस दिन को महाकुंभ के विशेष स्नान की मान्यता है. इसी तरह 14 अप्रैल मेष संक्रांति पर शाही स्नान होगा. मेष संक्राति पर होने वाले इस स्नान का विशेष महत्व है. 14 अप्रैल को होने वाले इस तीसरे शाही स्नान पर श्रद्धालु उमड़ पड़ते हैं. इस दिन देश-दुनिया से आए साधु-संत गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाएंगे.
इस दिन को अमृत योग का दिन माना जाता है
21 अप्रैल को भी स्नान है. 21 अप्रैल 2021 को रामनवमी के मौके पर महाकुंभ का बड़ा स्नान होगा. इस दिन भी लाखों श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाएंगे. रामनवमी के दिन नदियों का जल ग्रहों की चाल के मुताबिक बेहद पवित्र हो जाता है. वहीं, 27 अप्रैल को चैत्र पूर्णिमा पर महाकुंभ का अंतिम शाही स्नान है. 27 अप्रैल 2021 को हरिद्वार महाकुंभ का अंतिम शाही स्नान होगा. इस दिन पड़ने वाली चैत्र पूर्णिमा के मौके पर करोड़ों श्रद्धालु मां गंगा में डुबकी लगाएंगे. इस दिन को अमृत योग का दिन माना जाता है.
महाकुंभ में स्नान का है विशेष महत्व
मान्यता है कि कुंभ के दौरान विशेष स्नानों वाली तिथियों के दिन इस दौरान ग्रहों की विशेष दशा होती है. कुंभ के लिए प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक तय है. इनमें से प्रत्येक जगह पर हर बारह वर्ष में महाकुंभ का आयोजन होता है, जो कुंभ स्थल से बहते गंगाजल को औषधीय गुणों से भर देती है. इन दिनों गंगा जल को छूने मात्रा से अमृत्व की प्राप्ति होती है. हर बारह साल में आने वाले इस महाकुंभ पर हिंदुओं की विशेष आस्था है. हालांकि, दूसरे धर्मों से जुड़े विदेशी श्रद्धालु भी कुंभ स्नान का महत्व मानते हुए कुंभ में स्नान को पहुंचते हैं. दो महाकुंभों के बीच में छह वर्ष के अंतराल में अर्धकुंभ का भी आयोजन होता है. मान्यता है कि कुंभ मेला क्षेत्र से गुजर रही पवित्र नदी में इस दौरान स्नान से मनुष्य से सभी पाप धुल जाते हैं और उसकी मोक्ष प्राप्ति का रास्ता खुल जाता है.
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