उत्तराखंड

स्पिक मैके के सांस्कृतिक उत्सव ‘अनुभव’ में आयोजित हुईं मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुतियां

देहरादून। स्पिक मैके के सांस्कृतिक उत्सव ‘अनुभव’ के चौथे संस्करण की शुरुआत प्रशंसित लोक गायक जनाब गुलजार अहमद गनी खान द्वारा कश्मीरी लोक गायन के साथ हुई। गुलज़ार अहमद गनी खान ने कुशल वादकों के दल के साथ एक अद्भुत प्रस्तुति दी, जिसकी दर्शकों ने खूब सराहना करी। शेड्यूल के साथ आगे बढ़ते हुए, ओटुन थुल्लाल के प्रसिद्ध नाट्य कलाकार मोहना कृष्णन द्वारा एक विचारोत्तेजक प्रस्तुति देखने को मिली, जिसने दर्शकों को समाज का एक विशद प्रतिबिंब प्रदान किया।

प्रतिभागियों को आसाम की संस्कृति के सार का अनुभव कराते हुए, अनुभवी सत्त्रिया नर्तक गणकांत बोरा ने एक शानदार प्रदर्शन से दर्शकों को अपनी अनिवार्य रूप से उत्कृष्ट अभिव्यक्तियों के साथ मंत्रमुग्ध कर दिया।

अंतिम प्रस्तुति सरोद वादक पंडित तेजेंद्र नारायण मजूमदार द्वारा दी गयी, जिन्होंने अपनी कला से मौजूद सभी का दिल जीत लिया।

फेस्ट के दौरान कई महान गुरुओं द्वारा 3 घंटे की गहन कार्यशालाओं का ऑनलाइन संचालन किया गया, जिनमें रवींद्र बेहरा (पट्टचित्र पेंटिंग), पद्म श्री पुरस्कार विजेता वसीफुद्दीन डागर (ध्रुपद), मोदुमुदी सुधाकर (कर्नाटिक वोकल), पद्म भूषण पुरस्कार विजेता सरोजा वैद्यनाथन (भरतनाट्यम), कलामंडलम अमलजीत (कथकली), मनोज कुमार चौधरी (मधुबनी), राजेंद्र गंगानी (कथक), रंजीत गोगोई (बिहू नृत्य), स्नेह गंगाल (लघु चित्रकला), ओंकार दादरकर (हिंदुस्तानी गायन), कविता द्विबेदी (ओडिसी), हरीश तिवारी (हिंदुस्तानी वोकल), सुभोमोय भट्टाचार्य (हिंदुस्तानी वोकल), डी वनाजा (चेरियाल पेंटिंग), सुरंजना बोस (हिंदुस्तानी वोकल), भोलानाथ मिश्रा (हिंदुस्तानी वोकल), वामन नंबूथिरी (कर्नाटिक वोकल), गाजी खान (राजस्थानी मंगनियार लोक संगीत), कुमार मर्दूर (हिंदुस्तानी वोकल), डी. नागेश्वर (चेरियाल पेंटिंग), के आर बाबू (मुरल पेंटिंग) (एसए), गीतांजलि लाल (कथक), मन्नू यादव ( बिरहा लोक संगीत), श्रीनिवास संस्थान (यक्षगान) और वामनन नंबूथिरी (कर्नाटक वोकल) शामिल रहे।

अनुभव 4.0 का आयोजन प्रतिभागियों को उनके संबंधित क्षेत्रों के उस्तादों और किंवदंतियों के साथ उनकी रुचि के कला रूपों में गहराई से जानने के लिए एक अद्वितीय मंच प्रदान करने के लिए किया गया था। विभिन्न कला रूपों में यह कार्यशालाएं 5 जून तक प्रतिदिन आयोजित करी जाएँगी। देश भर में 7 स्थानों पर 35 से अधिक कार्यशालाओं का भौतिक रूप से संचालन किया जा रहा है। सांस्कृतिक उत्सव का समापन 5 जून को होगा।

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