उत्तराखंड

कोरोना के चलते नौकरी छूटी तो स्वरोजगार कर किया कमाल, पढ़ें दो भाइयों की कहानी

नैनीताल के बेतालघाट के रहने वाले दो भाइयों ने कोरोना संकट में स्वरोजगार अपनाकर इलाके के युवाओं को उम्मीद का रास्ता दिखाया है।

नैनीताल। कोरोनाकाल में सैकड़ों लोग बेरोजगार हुए और लाखों लोग शहरों से पहाड़ वापस लौटे। घर लौटने के बाद लोगों के सामने रोजगार का संकट है। लेकिन बेतालघाट के दो भाइयों ने न सिर्फ अपने लिए रोजगार ढूंढ़ा, बल्कि युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं।

बड़ा भाई चप्पल तो छोटा बना रहा है बल्ब

बेतालघाट के दो भाई इन दिनों इलाके के युवाओं को उम्मीद की राह दिखा रहे हैं। श्याम सुन्दर और जीवन ने अब अपनी जन्मभूमि को ही कर्मभूमि बना लिया है। पिछले 12 सालों से चंडीगढ़ में एकाउंटेंट की नौकर कर रहे श्याम सुंदर की जब कोरोना के चलते नौकरी चली गई, तो गांव वापस आकर उसने चप्पल बनाने का काम शुरू कर दिया है। पैरा पहाड़ी चप्पल के कारोबार अब श्याम पहाड़ में फैलाने की तैयारी कर रहा है। वहीं छोटा भाई जीवन एलईडी बल्ब बनाने का काम कर रहा है।

दोनों भाईयों का लक्ष्य स्वरोजगार के साथ पहाड़ के युवाओं का पलायन रोकना भी है। श्याम सुंदर का कहना है कि 12 साल से नौकरी कर रहे थे, लेकिन बचत कुछ भी नहीं हुई। कोरोना के चलते घर लौटे और नौकरी खोजी तो मिला नहीं। लिहाजा स्वरोजगार की दिशा में कदम बढ़ाकर चप्पल का धंधा कर रहे हैं।छोटा भाई जीवन पशुपालन विभाग में काम करने के साथ एलईडी बल्ब भी बनाता है। जीवन का कहना है कि कामकाज से थोड़ा वक्त निकालकर एलईडी बल्ब के रोजगार से भी पैसे कमाये जा सकते हैं।

पिता गोपाल सिंह का कहना है कि दोनों बेटे नजर के सामने रोजगार कर रहे हैं। अच्छा लगता है। अगर सरकार की तरफ से इन्हें मदद मिल जाती तो उनके बेटे को ही नहीं, बल्कि आसपास के कई लोगों को रोजगार मिल जाता।

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