उत्तराखंड

Nainital News: सितारगंज जेल से कैदी ने मांगी 50 लाख की फिरौती, ज्वैलर को दी जान से मारने की धमकी

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पुलिस ने कुछ आरोपियों को गिरफ्तार किया है.

पुलिस ने कुछ आरोपियों को गिरफ्तार किया है.

Crime News: सितारगंज की सेंट्रल जेल (Sitarganj Central Jail ) में बंद एक खूंखार कैदी ने हल्द्वानी की एक महिला ज्वैलर को रंगदारी (Ransom) मांगने के लिए कॉल कर दिया. इसके बाद ज्वैलर ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. 

 नैनीताल. जेल वैसे तो कैदियों को सजा देने के लिए होती है, लेकिन उत्तराखंड की सितारगंज जेल (Sitarganj Central Jail ) कैदियों की आरामगाह बन चुकी है. कैदी यहां जो चाहते हैं उन्हें वो सब मिल जाता है. इस बात का पर्दाफाश तब हुआ जब सितारगंज की सेंट्रल जेल में बंद एक खूंखार कैदी ने हल्द्वानी की एक महिला ज्वैलर को रंगदारी (Ransom) मांगने के लिए कॉल कर दिया. इसके बाद ज्वैलर ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस जांच में पता चला कि कॉल सितारगंज जेल में बंद हत्यारे राहुल राठौर ने की है वो भी मोबाइल के जरिए. राहुल राठी ने जेल ही में बंद अपने दुश्मन दल्लू के नाम से ज्वैलर को कॉल की और पचास लाख की रंगदारी मांगी. यही नहीं रंगदारी की रकम न देने पर जान से मारने और अपहरण तक की  धमकी दे दी.

 2 फरवरी को हल्द्वानी में जयगुरु ज्वैलर की मालकिन रीता खंडेलवाल ने पुलिस से शिकायक कि की दल्लू नाम के किसी शख्स ने उनके मोाबइल पर कॉल किया था जिसमें वो 50 लाख की फिरौती मांग रहा था. साथ ही फिरौती की रकम न देने पर बच्चों को जान से मारने की धमकी दे रहा था. एससपी नैनीताल प्रीति प्रियदर्शनी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए  एसओजी, सर्विलांस और कोतवाली पुलिस से जुड़े दो इंस्पेक्टर, चार सब इंस्पेक्टर और नौ कांस्टेबल को पूरे मामले की जांच की जिम्मेदारी सौंपी.

ऐसे हुआ मामले का पर्दाफाश

पुलिस टीम ने तीन दिन के भीतर की मामले का पर्दाफाश कर डाला है. जांच के दौरान सर्विलांस की मदद से पता लगा कि सिरारगंज की सेंट्रल जेल के भीतर से कॉल आया है. सेंट्रल जेल में पूछताछ की गई तो कॉल किया गया नंबर दुर्गाप्रसाद  निवासी रुद्रपुर जो हाईटैक एटीएम के पास मोजे की दुकान लगाता है के नाम पर था. लेकिन पूछताछ में दुर्गाप्रसाद ने बताया कि उसने इस नंबर का इस्तेमाल कभी भी नहीं किया. इसी दौरान दुर्गाप्रसाद ने बताया कि उसके बगल में महेन्द्र गंगवार और नरेन्द्र गंगवार छतरी लगाकर सिम का काम करते हैं. उन्होंने ही एक दिन उसकी आईडी का इस्तेमाल किया था.  महेन्द्र और नरेन्द्र दोनों फुफेरे भाई हैं और इनकी दोस्ती दीपक राठौर रुद्रपुर की एक नीजि कंपनी में काम करने वाले दीपक राठौर से है. आगे जांच में पता लगा कि दीपक का भाई राहुल राठौर हत्या के मामले में सितारगंज जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है. इसी बीच राहुल राठौर ने अपना वर्चस्व बढ़ाने के लिये प्रभावशाली और पैसे वाले लोगों से रंगदारी वसूलने की योजना बनाई और इसके लिए उसने अपनी महिला मित्र  अंकिता  और अंजलि उर्फ अंजू को एक फर्जी सिम की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी दी. इसके लिए अपने भाई दीपक राठौर की मदद लेने के लिये भी कहा.

इसके बाद अंकिता और अंजलि ने दीपक राठौर से सम्पर्क किया और राहुल राठौर की योजना  के बारे  में बताया.  दीपक ने अपने मित्र महेन्द्र और नरेन्द्र जो सिम कार्ड का काम करते थे, से सम्पर्क किया तो इन लोगों ने इसके लिए हामी भर ली. इन लोगों द्वारा  दुर्गाप्रसाद से आधार कार्ड  की तीन चार फोटो कॉपी पर हस्ताक्षर कराकर रख लिए और दुर्गाप्रसाद के आधार कार्ड की फोटो अपने मोबाइल से खींची  और उसके अंगूठे पर बायोमैट्रिकी साईन दो तीन बार ले लिए. उसके बाद इन लोगों ने दुर्गाप्रसाद के आधार कार्ड से  सिम एक्टिवेट कराया जिसे दीपक  राठौर  के माध्यम से अंकिता  यादव ने  राहुल राठौर को सितारगंज जेल मे जाकर दिया. फिर इस सिम का इस्तेमाल करते हुए राहुल राठौर ने 1 फरवरी को हल्द्वानी की ज्वैलर को फोन कर रंगदारी मांग डाली. फोन पर दल्लू बनकर  रंगदारी मांगने के बाद सिम कार्ड तोड़ दिया गया. पुलिस ने कैदी राहुल की मदद करने के आरोप में उसके भाई दीपक राठौर, सिम कार्ड बेचने वाले नरेंद्र-महेंद्र गंगवार और उसकी दो महिला मित्रों अंकिता- अंजलि को गिरफ्तार कर लिया है.






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