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14 दिसंबर को इस समय होगा वर्ष का अंतिम सूर्य ग्रहण!

ब्यूरो रिपोर्ट हल्द्वानीः इस साल का अंतिम सूर्य ग्रहण 14 दिसंबर यानि कल होगा. 15 दिन के भीतर लगने वाला ये दूसरा ग्रहण है. इससे पहले 30 नवंबर को चंद्रग्रहण लगा था. इस सूर्यग्रहण का हमारी राशियों पर असर पड़ेगा या नहीं. अगर पड़ेगा तो क्या उपाय रहेंगे. जानिए ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी से.
ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक, 14 दिसंबर को लगने वाला सूर्य ग्रहण शाम 8:05 बजे से शुरू होकर रात्रि 11:30 बजे रहेगा. इस सूर्य ग्रहण का भारत में कोई असर नहीं दिखेगा. वे कहते हैं कि इस बार का सूर्यग्रहण ग्रहण जहां कई एशियाई देशों के लिए नुकसानदायक होगा तो वहीं, सूर्य ग्रहण के बाद से कोरोना मुक्ति मिलने के आसार भी हैं.
नवीन चंद्र जोशी का कहना है कि ग्रहण कैसा भी हो, उसका मानव जीवन पर प्रभाव अवश्य पड़ता है. इसलिए ग्रहण के दौरान सावधानियां बरतनी चाहिए. वृश्चिक में सूर्य मासांत पर ग्रहण होने से यूरोपीय देशों में शुभ व अशुभ दोनों प्रकार के फल देगा. वृश्चिक राशि पर चतुर्ग्रही योग कोरोना महामारी में कमी आएगी, इससे रोग नाशक योग बनेंगे.
नवीन चंद्र के मुताबिक, जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच से होते हुए गुजरता है, तब वह सूर्य की रोशनी को आंशिक या पूर्ण रूप से अपने पीछे ढकते हुए उसे पृथ्वी तक पहुंचने से रोक लेता है. इस घटना को सूर्य ग्रहण कहते हैं. ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक, यह सूर्य ग्रहण दक्षिणी अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका के अधिकांश हिस्से, प्रशांत महासागर, अटलांटिक और हिंद महासागर और अंटार्कटिका में आंशिक रूप से दिखाई देगा.
रात्रि के समय ग्रहण लगने का कारण इस बार भारत में यह ग्रहण नहीं देखा जा सकेगा. भारत में दृश्य न होने का कारण सूतक काल भी मान्य नहीं होगा. लेकिन ग्रहण काल के दौरान कुछ सावधानियां बरतना आवश्यक है. ज्योतिषाचार्य के अनुसार, सूर्य ग्रहण के दौरान पांच ग्रह एक साथ होंगे. सूर्य ग्रहण वृश्चिक राशि में लग रहा है. ग्रहण काल में वृश्चिक राशि में पांच ग्रह सूर्य, शुक्र, बुध, केतु और चंद्रमा एक साथ होंगे.
ज्योतिषाचार्य नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक, सूर्य के धनु राशि में प्रवेश के साथ 15 दिसंबर को मलमास शुरू हो जाएगा, जो 14 जनवरी तक रहेगा. मलमास में विवाह, यज्ञोपवीत संस्कार आदि मांगलिक कार्य वर्जित रहेंगे. इस वर्ष 13 दिसंबर तक विवाह का आखिरी शुभ मुहूर्त हैं. नए साल में मलमास, गुरु और शुक्र के अस्त होने से जनवरी से मार्च तक विवाह मुहूर्त नहीं रहेंगे.
नव संवत्सर में 23 अप्रैल से विवाह के लिए शुभ मुहूर्त शुरू हो जाएंगे. 14 दिसंबर से 14 जनवरी तक मलमास होने और 16 जनवरी को देव गुरु बृहस्पति और 8 फरवरी को शुक्र के अस्त होने के कारण कोई विवाह मुहूर्त नहीं होगा. मार्च में होलाष्टक भी रहेगा. जिसमें विवाह नहीं होते हैं.
ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के अनुसार, सूर्य के धनु व मीन राशि में स्थित होने की अवधि को मलमास या खरमास कहा जाता है. मलमास में विवाह, मुंडन, सगाई, गृह निर्माण, गृह प्रदेश आदि शुभ मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं. उन्होंने बताया कि इस दौरान लोगों को अपनी राशि के अनुसार दान पुण्य करना चाहिए.

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