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रिपोर्ट भगवान सिंह: भगत_जी, यहाँ मैं बंशीधर_भगत जी की बात कर रहा हूं, उनके मुंह से कुछ भी बोल निकल पड़ते हैं। हाल में उनके एक बोल के लिये, उनके मुख्यमंत्री को खेद प्रकट करना पड़ा, फिर घोषणा कर डाली कि अमुख नेता सकुटुंब हमारे परिवार का दरवाजा खटखटा रहा है, खैर लोगों ने उनके बयानों को अब गंभीरता से लेना छोड़ दिया है। आजकल अब मुझसे पूछते फिर रहे हैं। जब मैं नौकरी पर सवाल कर रहा हूं तो कहते हैं कि आपने अपने कार्यकाल में नौकरियां क्यों नहीं दी?
मैंगैरसैंण को लेकर कुछ सवाल करता हूं तो कहते हैं कि गैरसैंण में यह सब आपने क्यों नहीं किया? भगत जी, यदि मैंने सब कुछ कर दिया होता तो फिर लोग आपको लाते ही क्यों? अब 4 साल मुझको गये हो गये हैं, अब तो आप कुछ कर डालो जिसको बता सको, खैर बंशीधर भगत जी सुबह लोगों के लिये नाश्ते की टेबल पर कुछ हंसने का अच्छा मसाला दे देते हैं।