कोरोना के साए में हुआ उत्तराखंड विधानसभा का एक दिन सत्र, CM समेत 42 विधायक हुए शामिल, 18 विधेयक पारित
उत्तराखंड विधानसभा का एक दिन मानसून सत्र हंगामेदार रहा। जबकि सत्र में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत समेत 42 विधायक विधानसभा में मौजूद रहे, तो 14 अन्य ने वर्चुअल तरीके से भाग लिया। इस दौरान 18 विधेयक पारित हुए।
देहरादून। उत्तराखंड में कोविड-19 के बढते ग्राफ के बीच आहूत विधानसभा के एक दिवसीय मानसून सत्र में बुधवार को विपक्षी कांग्रेस ने महामारी पर तत्काल चर्चा कराने की मांग को लेकर जबरदस्त हंगामा किया जिससे सदन की कार्यवाही बाधित हुई। हालांकि बाद में कांग्रेस के हंगामे और शोर-शराबे के बीच ही सरकार ने करीब डेढ दर्जन विधेयक सदन से पारित करवा लिए। जबकि विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल भी कोविड पीड़ित होने के कारण सत्र में नहीं आ सके। राज्य विधानसभा के 20 वर्ष के इतिहास में यह पहला मौका था जब अध्यक्ष ने सत्र की अध्यक्षता नहीं की और उनके स्थान पर उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान ने कमान संभाली।
सीएम समेत इतने विधायक रहे मौजूद
विधानसभा के मानसून सत्र में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सहित 42 विधायक विधानसभा में मौजूद रहे। जबकि 14 अन्य ने वर्चुअल तरीके से कार्यवाही में हिस्सा लिया। शेष विधायक सत्र से दूर रहे और माना जा रहा है कि इनमें से ज्यादातर कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आने के कारण इसमें शामिल नहीं हो पाए। राज्य विधानसभा के 20 वर्ष के इतिहास में यह पहला मौका था जब अध्यक्ष ने सत्र की अध्यक्षता नहीं की। उनके स्थान पर उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान ने सदन की कार्यवाही की अध्यक्षता की। उनके अलावा, सदन में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा ह्रदयेश और उपनेता प्रतिपक्ष करण माहरा भी संक्रमित होने के कारण सदन में मौजूद नहीं रहे।
सत्र से पहले विधायकों की कोविड-19 जांच
विधानसभा सत्र के दौरान कोविड-19 से सुरक्षा का पूरा प्रबंध किया गया। सत्र से पहले विधायकों की कोविड-19 जांच की गयी। विधानसभा मंडप के अलावा विधायकों के बैठने की व्यवस्था दर्शक और प्रेस दीर्घा में भी की गयी थी, जहां दो गज की दूरी सहित अन्य प्रोटोकॉल का पूरा ध्यान रखा गया। कोविड-19 की परिस्थतियों के कारण बिना प्रश्नकाल के हुए सत्र में पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत प्रणब मुखर्जी और दो पूर्व विधायकों को श्रद्धांजलि देने के बाद विपक्षी कांग्रेस सदस्य प्रीतम सिंह की अगुवाई में कांग्रेस सदस्य अपने स्थानों पर खड़े हो गए और पीठ से कोरोना महामारी पर तत्काल चर्चा कराने की मांग करने लगे। पीठ पर आसीन विधानसभा उपाध्यक्ष चौहान ने उन्हें अपने स्थानों पर बैठने का अनुरोध करते हुए उन्हें इस मुद्दे को बाद में कार्यस्थगन प्रस्ताव के जरिए उठाने को कहा, लेकिन उनकी बात अनसुनी करते हुए कांग्रेस सदस्य अध्यक्ष के आसन के सामने आ गए।
कांग्रेस ने लगाया ये आरोप
कांग्रेस के काजी निजामुददीन ने सरकार पर मानसून सत्र को केवल एक दिन तक ही सीमित करने का भी आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि इस समय कोविड-19 से ज्यादा कोई विषय महत्वपूर्ण नहीं है। जबकि संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने कहा कि कोविड-19 की परिास्थितियों के कारण सत्र को एक दिन का किया गया और यह निर्णय लेने वाली कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में उपनेता प्रतिपक्ष करण माहरा और विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल भी शामिल थे।
इससे उत्तेजित अध्यक्ष के आसन के सामने खडे कांग्रेस विधायक और जोर-जोर से बोलने लगे। कुछ सदस्यों ने विधानसभा कार्यसूची के पृष्ठ भी आसन की ओर फेंके जिससे हंगामे की स्थिति पैदा हो गयी। इसके बाद उपाध्यक्ष चौहान ने सदन की कार्यवाही एक बजे तक के लिए स्थगित कर दी। एक बजे सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर भी हंगामे की स्थिति बनी रही और इसी के बीच सरकार ने कुछ कामकाज निपटाया और सदन को भोजनावकाश के लिए स्थगित कर दिया। भोजनावकाश के बाद भी स्थिति में बदलाव नहीं हुआ और हंगामे के बीच सरकार ने 18 विधेयक पारित करवा लिए। बाद में संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने कांग्रेस पर जबरदस्ती हंगामा करने का आरोप लगाया और कहा कि उन्होंने कोविड और अन्य विषयों पर एक अच्छी बहस का मौका गंवा दिया।