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जीका वायरस से बचाव को भारत में वैक्सीन बनाने की है तैयारी, बच्चों के लिए अन्य लोगों की तुलना में ज्यादा खतरनाक

नई दिल्ली। जीका वायरस को लेकर डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि देश के वैज्ञानिक इससे बचाव के लिए भी वैक्सीन बनाने की तैयारी में जुट गए हैं। यह जानकारी इंडियाज वर्किंग ग्रुप ऑफ कोविड के चेयरमैन व नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप के डॉ. एनके अरोड़ा ने अमर उजाला फाउंडेशन व यूनिसेफ की तरफ से नोएडा में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के दौरान गुरुवार को दी। उन्होंने बताया कि देश में कुछ जगहों पर जीका वायरस के मामले सामने आए हैं। जिसके बाद स्वास्थ मंत्रालय सचेत हो गया है। हालांकि यह वायरस कोविड की तरह खतरनाक नहीं है। भारत में इसके मामले पहले भी आते रहे हैं। इसके बावजूद इससे बचाव के लिए प्रत्येक स्तर पर तैयारियां की जा रही हैं। गौरतलब है कि देश के कई क्षेत्रों में जीका वायरस के मामले सामने आए हैं। ऐसे में महामारी के दौर में एक और वायरस के सामने आने से विशेषज्ञों के साथ ही लोगों के जहन में तरह-तरह के सवाल उठने लगे हैं। ऐसे में डॉक्टर अरोड़ा द्वारा जीका वायरस से बचाव के लिए वैक्सीन निर्माण को लेकर आगे बढ़ने की सूचना लोगों के लिए राहत देने वाली साबित होगी।

बच्चों के लिए अन्य लोगों की तुलना में ज्यादा खतरनाक
उन्होंने बताया कि जीका वायरस गर्भवती महिलाओं व बच्चों के लिए अन्य लोगों की तुलना में ज्यादा खतरनाक है। क्योंकि अगर गर्भावस्था के दौरान महिला इसकी चपेट में आ जाए तो बच्चे पर इसका दुष्प्रभाव पड़ सकता है। उसका सिर सामान्य की तुलना में ज्यादा बढ़ा या ज्यादा छोटा हो सकता है। इसके साथ ही बच्चे का कद भी प्रभावित हो सकता है। डॉ. अरोड़ा ने कार्यशाला के दौरान कोविड टीकाकरण से संबंधित सत्र में टीकाकरण से जुड़े विभिन्न पहलुओं की जानकारी भी दी। उन्होंने कार्यशाला में शामिल छात्रों व अन्य मीडिया क्षेत्र से जुड़े प्रतिनिधियों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि टीकाकरण को लेकर देश में प्रत्येक स्तर पर व्यापक कार्य किया जा रहा है। इसकी सफलता शत प्रतिशत सुनिश्चित करने के लिए एक जून से हर घर दस्तक अभियान शुरू किया गया है।

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