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चंडीगढ़ से फरीद अहमद की रिपोर्ट: कृषि कानूनों को रद्द करने से केंद्र सरकार के इनकार को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अमानवीय करार दिया। इसके साथ ही उन्होंने शुक्रवार को एलान किया कि इन कानूनों के खिलाफ संघर्ष में जान गंवाने वाले पंजाब के किसानों के परिवार को पांच-पांच लाख रुपये और एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी।
कैप्टन ने सवाल किया कि केंद्र सरकार इन कानूनों को रद्द करने से क्यों भाग रही है। केंद्र सरकार को यह कानून रद्द करके किसानों से बातचीत करनी चाहिए और सभी संबंधित पक्षों से सलाह के बाद नए कानून बनाने चाहिए। भारत के संविधान में भी कई बार संशोधन हो चुका है तो केंद्र सरकार यह कानून वापस न लेने पर क्यों अड़ी हुई है।
मुख्यमंत्री ने ‘कैप्टन से सवाल’ के 20वें फेसबुक लाइव सेशन के दौरान शुक्रवार को कहा कि वे किसानों के साथ हैं और उनके साथ खड़े रहेंगे। पंजाब सरकार और राज्य का हर नागरिक दिल्ली की सरहद पर बैठे किसानों की हिमायत करता है। आंदोलन में बड़ी संख्या में बुजुर्ग भी शामिल हैं जो अपने लिए नहीं, बल्कि अपने बच्चों और पोते-पोतियों के भविष्य के लिए वहां डटे हुए हैं।
मुख्यमंत्री ने बताया कि दुख की बात तो यह है कि ठंड के कारण हर दिन हम अपने किसानों को खो रहे हैं। अब तक तकरीबन 76 किसानों की मौत हो चुकी है। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि देश भर से सभी किसान संगठनों के नुमाइंदे दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हैं। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन अब पूरे देश के किसानों का है न कि अकेले पंजाब के किसानों का। कैप्टन ने तरनतारन निवासी एक व्यक्ति की इस बात पर सहमति जताई कि केंद्र अहंकारी है और कृषि कानूनों से किसानों पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे नहीं सोच रही।