उत्तराखंड

ऋषिकेश: तत्काल उपचार में लाभकारी सिद्ध हो रहा एम्स का हैलीपेड

ऋषिकेश से महेश पंवार की रिपोर्ट: एम्स ऋषिकेश के हैलीपेड का मरीजों को सीधा लाभ मिलने लगा है। राज्य के सीमान्त क्षेत्रों से पिछले 3 दिनों के भीतर ही 4 मरीज यहां पहुंच चुके हैं। जबकि इससे पहले भी एक मरीज को एअर लिफ्ट कर एम्स लाया गया था। एम्स ऋषिकेश को एअर एम्बुलेन्स की सुविधा से जोड़ने के उद्देश्य से राज्य के मुख्यमन्त्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने 11 अगस्त को एम्स के हैलीपेड का उद्घाटन किया था।
भौतिक और तकनीकी तौर से यहां हैलीपेड संचालन की अनुमति देने से पहले 28 जुलाई को डीजीसीए की टीम द्वारा 6 सीटर हैलीकाॅप्टर की ट्राॅयल लैन्डिंग भी की गयी थी। अब एम्स ऋषिकेश में हैलीपेड की सुविधा होने से इमरजेन्सी उपचार की आवश्यकता वाले मरीजों को सीधा लाभ होने लगा है। खासतौर से उन मरीजों को जो सीमान्त क्षेत्रों से एअर लिफ्ट कर समय रहते एम्स लाए जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि विषम भौगोलिक स्थिति वाले इस पहाड़ी राज्य में सबसे बड़ी समस्या आपदाओं व दुर्घटनाओं के दौरान घायल लोगों व आपात् स्थिति के मरीजों को समय पर अस्पताल पंहुचाने की रहती है। ऐसे में एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रविकान्त जी की दूरदर्शी सोच के चलते तैयार किया गया यह हैलीपेड अब राज्यवासियों के लिए विशेष लाभकारी सिद्ध हो रहा है।
बुद्धवार को भी दोपहर एअर एम्बुलेन्स के माध्यम से जनपद चमोली के लंगासू क्षेत्र से बीपी, डायबिटीज और अन्य बीमारियों से ग्रसित 55 वर्षीय एक कोविड पाॅजिटिव मरीज को एम्स लाया गया। हैलीपेड से मरीज को इलाज हेतु सीधे एम्स की इमरजेन्सी पहुंचाया गया। इससे 2 रोज पहले भी सोमवार को राज्य के पूर्व मन्त्री राजेन्द्र सिंह भण्डारी, उनकी पत्नी रजनी भण्डारी व एक अन्य को हैली एम्बुलेन्स के माध्यम से दूरस्थ जिले चमोली गढ़वाल से एम्स लाया गया था।
इस बारे में जानकारी देते हुए एम्स ऋषिकेश के एविएशन व एअर रेस्क्यू इंचार्ज डाॅक्टर मधुर उनियाल ने बताया कि दो महीने पहले पौड़ी जिला मुख्यालय से एक डाॅक्टर को हैली एम्बुलेन्स से एम्स लाया गया था। उस समय स्ट्रोक की वजह से वह गंभीर स्थिति में थे। जिन्हें समय पर इलाज मिला और कुछ ही दिनों में उन्हें एम्स से डिस्चार्ज कर दिया गया था।
डाॅक्टर उनियाल ने बताया कि हेली एम्बुलेन्स सुविधा को आयुष्मान योजना में शामिल करने के लिए एम्स की ओर से राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है। ताकि उत्तराखण्ड के गरीब से गरीब व्यक्ति को भी इस सुविधा का लाभ मिल सके।

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