उत्तराखंड

अधिकारियों की टीम ने पुल के 58 मीटर ऊंचे टावर पर चढ़कर पुल का निरीक्षण किया

टिहरी झील के ऊपर बने डोबरा-चांठी पुल की फाइनल लोड टेस्टिग का काम शुरू कर दिया है। मंगलवार को दक्षिण कोरिया के इंजीनियर और लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की टीम ने पुल के 58 मीटर ऊंचे टावर पर चढ़कर पुल का निरीक्षण किया। वर्ष 2006 से परेशानी झेल रहे टिहरी जिले के प्रतापनगर क्षेत्र के निवासियों की मुश्किलें अब जल्द खत्म होने वाली हैं। डोबरा-चांठी सस्पेंशन ब्रिज(झूला पुल) की लोड टेस्टिंग शुरू हो चुकी है। इस पुल के बनने से करीब दो लाख की आबादी की मुश्किलें कम हो जाएंगी। पहले जहां प्रतापनगर से नई टिहरी पहुंचने में करीब पांच घंटे लगते थे। वहीं, अब पुल के बनने के बाद यह दूरी घटकर सिर्फ डेढ़ घंटे रह जाएगी। इसके साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा के हालातों में भी सुधार होगा। उम्मीद है कि अक्टूबर में पुल के ऊपर से वाहन गुजरने शुरू हो जाएंगे। दक्षिण कोरिया की कंपनी ने तैयार किया डिजाइन

2006 में शुरू हुए डोबरा-चांठी पुल के काम के दौरान कई समस्याएं सामने आईं। गलत डिजायन, कमजोर प्लानिग और विषम परिस्थितयों के चलते पुल का काम कई बार रुका भी था। वर्ष 2010 में डिजाइन फेल होने के कारण इसे बंद करना पड़ा। तब तक पुल निर्माण पर 1.35 अरब की रकम खर्च हो चुकी थी। इसके बाद वर्ष 2016 में लोनिवि निर्माण खंड ने 1.35 अरब की लागत से दोबारा निर्माण कार्य शुरू किया। पुल के डिजाइन के लिए अंतरराष्ट्रीय निविदा जारी की गई, जिसके बाद पुल का नया डिजाइन दक्षिण कोरिया की कंपनी योसीन से तैयार कराया गया। 725 मीटर लंबा पुल है ।चौड़ाई 7 मीटर है।

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