उत्तराखंड

लगातार घटते ग्‍लेशियर चिन्‍ता का विषय हैं, शोध में हुआ खुलासा

देहरादून। वाडिया हिमालयन भू विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने पहली बार भू-राजनीतिक सीमाओं की परवाह किए बगैर चीन के कब्जे वाले तिब्बती क्षेत्र में मौजूद ईस्टर्न हिमालय के नदी बेसिन क्षेत्र का डेटा हासिल कर उसका अध्ययन किया है। ये शोध ब्रह्मपुत्र नदी के सबसे बड़े उद्गम सुबनसिरी नदी बेसिन व उसके ग्लेशियरों की वर्तमान स्थिति को दर्शाता है। भारत के लिए ये सामरिक महत्व का शोध है।

वाडिया के वैज्ञानिकों ने लैंडसेट सेटेलाइट औक डिजीटल ग्लोब उपग्रह के डेटा की मदद से पता लगाया है कि सुबनसिरी बेसिन कुल 390 ग्लेशियरों में 11.95 घन मीटर बर्फ का भंडार है। यहां ग्लेशियर 2 से 51 मीटर प्रति वर्ष की रफ्तार से पिघल रहे हैं। 52 ग्लेशियर झीलें 144 किलोमीटर से अधिक संचयी क्षेत्र कवर करती हैं। ये ब्रह्मपुत्र के प्रवाह में 7.92 प्रतिशत योगदान देती हैं। भारत के लिए यह अध्ययन असम के गेरुकामुख के डाउनस्ट्रीम में ब्रह्मपुत्र नदी पर बन रही दो हजार मेगावाट की जल विद्युत परियोजना निर्माण के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है।

शोध वाडिया की वैज्ञानिक स्वप्नामिता चौधरी वेदेश्वरन, प्रो. शरत फुकन, डा.मनीष मेहता और गुवाहाटी विवि की टीम ने किया। वाडिया हिमालयन भू-विज्ञान संस्थान की वैज्ञानिक स्वप्नामिता चौधरी वेदेश्वरन ने बताया कि हमें ये पता लगाना था कि ब्रह्मपुत्र के ऊपरी इलाकों में क्या हलचल और खतरे मौजूद हैं, जिसका भारतीय क्षेत्र में बन रहे बांधों पर असर पड़ सकता है। ऊपरी क्षेत्र में ग्लेशियर झील फटने से बाढ़ आती है, तो उससे क्या असर पड़ेगा? ये शोध केदारनाथ आपदा, ऋषिगंगा फ्लैश जैसी आपदा के खतरे कम करने और प्रबंधन में मदद देगा।

पूर्वी हिमालय में चीन की सक्रियता खतरनाक
इस शोध का दायरा भारत-चीन की मैक मोहन रेखा के आरपार है। ब्रह्मपुत्र के सभी ग्लेशियर व उद्गम क्षेत्र चीन के आधिपत्य वाले तिब्बत में हैं, जबकि उससे प्रभावित सारा सिंचित क्षेत्र भारत में है। भारत के पास इससे पहले ब्रह्मपुत्र के ऊपरी बेसिन को लेकर कोई डेटा नहीं था। मसलन वहां कितने ग्लेशियर, कितनी झीलें, कितना बर्फ और पानी है? ब्रह्मपुत्र पर भारत 2000 मेगावाट क्षमता का पावर प्लांट बना रहा है। चीन भी अपने हिस्से के क्षेत्र में आठ से अधिक बड़े पावर प्लांट बना रहा है।

51 मीटर की रफ्तार से घट रहे ग्लेशियर
सुबनसिरी बेसिन अरुणाचल प्रदेश व तिब्बत में फैला है। यहां ग्लेशियर 30 प्रतिशत तेजी से पीछे हट रहे हैं। सुबनसिरी बेसिन का सबसे बड़ा ग्लेशियर डेसाफू 15.3 किमी लम्बा है, जो कुल हिमनदीकृत क्षेत्र का 41.76 % है। डेसाफू में 2.70 वर्ग किमी बर्फ का भंडार है। चीन के आधिपत्य वाले ऊपरी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर चल रहे परियोजना के कार्यों से जलवायु परिवर्तन हुआ है, वहां 55 प्रतिशत ग्लेशियर 10 मीटर प्रति वर्ष की रफ्तार से घट रहे हैं। जबकि डेसाफू की कुल रफ्तार 21 मीटर प्रतिवर्ष है। अन्य इलाकों में यह दर 2 से 51 मीटर प्रतिवर्ष है। हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियर पिघलने की यह दर सर्वाधिक है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *