उत्तराखंड

सरकार हमारी जान को खतरा है

देहरादून। सरकार का गठन हो गया तो हर किसी को अब माननीय की हनक भी चाहिए और इसके  लिए सबसे बड़ी हनक है गनर लेने की। जी हां राज्‍य में नयी सरकार के गठन के साथ ही गनर प्राप्त लेने के लिए सेटिंग शुरू हो गयी है। नेता से लेकर कारोबारी और धार्मिक हस्तियां चुनाव के दौरान वापस लिए गए गनर बहाल करने के लिए सरकार व प्रशासन पर चौतरफा दबाव बनाने लगे हैं। जबकि सरकार ने प्रथम चरण में सिर्फ मंत्री, विधायकों, मेयर और जिला पंचायत अध्यक्षों के लिए ही सुरक्षा बहाल करने की अनुमति दी है।

अब नई सरकार बनते ही एक बार फिर गनर की होड़ शुरू हो गई है। हालांकि गृह विभाग ने प्रथम चरण में मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायकों के साथ ही मेयर और जिला पंचायत अध्यक्षों को हरी झंडी दी है। सीएम को पहले ही दिन से जेड प्लस सुरक्षा मिल रही है, जबकि मंत्रियों को वाई प्लस स्पेशल श्रेणी  मिलेगी। विधायकों, मेयर और जिला पंचायत अध्यक्ष को एक एक पुलिस कर्मी गनर के लिए मिलेगा। अपर सचिव गृह रिद्धिम अग्रवाल ने बताया कि प्रथम चरण में निर्वाचित प्रतिनिधियों को ही सुरक्षा प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री से अनुमोदन लिया जा रहा है। शेष को तय प्रकिया के तहत नए सिरे से आवेदन करना होगा।

विधायकों पर मुकदमें दूसरी तरफ सुरक्षा: उत्तराखंड विधानसभा के 19 विधायकों पर आपराधिक मुकदमें दर्ज हैं। एडीआर, इलेक्शन वॉच की ओर से हाल में जारी रिपोर्ट के अनुसार इस बार 19 विधायकों पर पर मुकदमें दर्ज हैं, जो 27 फीसदी बैठते है। बीजेपी के आठ विधायकों पर मुकदमें दर्ज हैं, इसमें से पांच पर गंभीर धाराएं लगी हैं। कांग्रेस के 19 में से आठ और बसपा का एक जबकि दोनों निर्दलीय प्रत्याशियों पर मुकदमें दर्ज हैं। विधायक उमेश कुमार पर 14 केस दर्ज हैं।

यह रहता है सुरक्षा घेरा
सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत सीएम को जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा मिलती है, जिसमें विशेष कमांडो नियुक्त होते हैं। इसके बाद वाई स्पेशल श्रेणी में मंत्री के साथ एस्कार्ट वाहन चलता है, जिसके लिए चार पुलिस कर्मी तैनात होते हैं। इसके अलावा मंत्रियों के घर पर पांच पुलिस कर्मी गारद ड्यूटी पर तैनात रहते हैं। इस तरह मौजूदा मंत्रीमंडल के सदस्यों पर ही 72 पुलिस कर्मी तैनात हो जाएंगे। इसके अलावा 62 विधायकों, आठ मेयर और 13 जिला पंचायत अध्यक्षों को निजी सुरक्षा मिलती है।

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