Uttarakhand: चक्रवर्ती राजा भरत की जन्मस्थली कोटद्वार का नाम बदला, अब ये होगा नया नाम
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राज्य कैबिनेट ने चक्रवर्ती सम्राट राजा भरत की जन्मस्थली कोटद्वार का नाम बदलकर कण्व नगरी कोटद्वार करने के फैसले को हरी झंडी दे दी है. नगर निगम कोटद्वार पहले ही कोटद्वार के नाम के आगे कण्व नगरी लिखे जाने के प्रस्ताव पर मुहर लगा चुका था.
राज्य कैबिनेट ने चक्रवर्ती सम्राट राजा भरत की जन्मस्थली कोटद्वार का नाम बदलकर कण्व नगरी कोटद्वार करने के फैसले को हरी झंडी दे दी है. नगर निगम कोटद्वार पहले ही कोटद्वार के नाम के आगे कण्व नगरी लिखे जाने के प्रस्ताव पर मुहर लगा चुका था.
- Last Updated:
March 4, 2021, 12:54 PM IST
राज्य कैबिनेट ने कोटद्वार का नाम बदलकर कण्व नगरी कोटद्वार करने के फैसले को हरी झंडी दे दी है. नगर निगम कोटद्वार की ओर से पहले ही कोटद्वार के नाम के आगे कण्व नगरी लिखे जाने के प्रस्ताव पर मुहर लग चुकी थी. इसके बाद अब राज्य सरकार ने भी कोटद्वार के नाम को बदलकर कण्व नगरी कर दिया है.
शहर से जुड़ी है ये मान्यता
मान्यता है कि कोटद्वार के कण्वाश्रम में राजा दुष्यन्त और शकुंतला के पुत्र चक्रवर्ती राजा भरत का जन्म हुआ था. वहीं पर ऋषि कण्व का आश्रम भी हुआ करता था, मन जाता है कि यहाँ पर राजा भरत की प्रारंभिक दीक्षा शिक्षा भी हुई थी. राजा भरत के नाम पर ही कोटद्वार का नाम भारत पड़ा है. कोटद्वार एक पौराणिक नगर रहा है, धर्मग्रंथों में भी कोटद्वार और मालन नदी का जिक्र मिलता है. कोटद्वार से कण्वाश्रम से होकर पवित्र मालन नदी भी गुजरती है, जिस नदी का जिक्र महाकवि कालिदास रचित अभिज्ञान शाकुंतलम में भी किया गया है.पौराणिक महत्त्व समेटे कण्वाश्रम को देखते हुए काफी लंबे समय से कोटद्वार के नाम मे बदलाव की मांग की जा रही थी. खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत साल 2019 में जब कोटद्वार के कण्वाश्रम में पहुंचे थे तो उन्होंने कोटद्वार के नाम मे बदलाव करने की घोषणा की थी, उन्ही की घोषणा के बाद कैबिनेट ने कोटद्वार का नाम बदलकर कण्व नगरी रख दिया है. अब कोटद्वार की नई पहचान कण्वनगरी कोटद्वार के रूप में होगी.
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