उत्तराखंड

Uttarakhand Flood: प्राकृतिक आपदाएं बार-बार हिलाती रही हैं उत्तराखंड को, जानें 5 बड़े हादसे

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2013 में आई केदारनाथ आपदा ने 4500 लोगों की जान ले ली थी. (फाइल फोटो)

2013 में आई केदारनाथ आपदा ने 4500 लोगों की जान ले ली थी. (फाइल फोटो)

इससे पहले भी उत्तराखंड केदारनाथ त्रासदी (Kedarnath tragedy) झेल चुका है. उस हादसे में कई लोगों की जान गई थी. आइए आपको आज याद दिलाते हैं उत्तराखंड में इससे पहले हुए 5 ऐसे भीषण हादसों की.


  • News18Hindi

  • Last Updated:
    February 7, 2021, 7:47 PM IST

देहरादून. प्राकृतिक आपदाओं (disasters) वाले राज्य उत्तराखंड (Uttarakhand) में समय-समय पर ऐसे हादसे विचलित करते रहे हैं. इससे पहले भी उत्तराखंड केदारनाथ त्रासदी (Kedarnath tragedy) झेल चुका है. उस हादसे में कई लोगों की जान गई थी. आइए आपको आज याद दिलाते हैं उत्तराखंड में इससे पहले हुए 5 ऐसे हादसों के बारे में जिससे पूरा देश हिल गया था.

रुद्रप्रयाग के केदारनाथ में 16 जून 2013 की आपदा पूरी मानव जाति को झकझोर गई थी. इसमें 4500 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और कई लापता हो गए थे. 4000 से अधिक गांवों का संपर्क टूट गया था. कई लोग तो अपने घर के भीतर ही मारे गए थे. तब सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और आइटीबीपी की टीमों ने महाअभियान चलाकर यात्रा मार्ग में फंसे 90 हजार यात्रियों और 30 हजार से ज्यादा लोगों का रेस्क्यू किया था.

साल 2020 में पिथौरागढ़ में बड़ा हादसा हुआ था जब चैसर गांव में एक मकान ढह गया. घटना सुबह हुई इसलिए बचने का मौका तक नही मिल पाया था.

उत्तरकाशी जिले के मोरी तहसील में अगस्त 2019 में बारिश से उफनाए नालों की वजह से करीब 200 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था और 18 लोगों की जान गई थी.

उत्तरकाशी में ही 1991 में आए भूकंप की वजह से यहां की चट्टानें कमजोर हो गई थीं, जिसके बाद ज्यादा बारिश के कारण चट्टानें जगह-जगह से दरक गई थीं.

साल 2019 में उत्तरकाशी आराकोट में आए आपदा से भी देश हिल गया था. इलाके का लगभग 70 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र प्रभावित हुआ था. कई इलाकों में कनेक्टिविटी से लेकर जलसंकट तक गहरा गया था.






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