विश्व में साहसिक पर्यटन की डगर पर धीरे-धीरे अपनी पहचान बना रहा है उत्तराखंड
देहरादून। उत्तराखंड में तीर्थाटन के साथ ही अब सरकार का साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने पर जोर है। साहसिक पर्यटन को रोजगार से जोड़कर नए स्थल को विकसित करने पर काम किया जा रहा है। वहीं, कोरोना महामारी से पर्यटन उद्योग को हुए नुकसान के लिए शीतकालीन पर्यटन बढ़ावा देने की सरकार की योजना है।
प्रदेश के प्रसिद्ध चारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री से उत्तराखंड की देश दुनिया में पहचान है। चारधामों के कपाट बंद होने से यात्रा भी छह माह के बाद बंद हो जाती है। इससे प्रदेश में पर्यटन की गति भी थम जाती है। 59 साल के बाद सरकार ने ऐतिहासिक गरतांग गली को पर्यटकों के लिए खोल दिया है।
एडवेंचर के लिए नए ट्रैकिंग को विकसित कर पर्यटकों के लिए आवासीय सुविधा उपलब्ध कराने के लिए ट्रैक्शन ट्रैकिंग होम स्टे योजना शुरू की गई। स्कीइंग के लिए प्रसिद्ध औली में शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ ही पैराग्लाइडिंग, ट्रेल रन, माउंटेन बाइकिंग, रिवर, क्रॉसिंग, वॉटर रोलिंग, ऑफ-रोडिंग, हाइकिंग, सफारी के लिए पर्यटक सुविधाओं पर काम हो रहा है।
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा धार्मिक पर्यटन में उत्तराखंड की पूरे दुनिया में पहचान बन चुकी है। अब विंटर और एडवेंचर टूरिज्म को बढ़ावा देने की सरकार की योजना है। कोविड महामारी से हुए नुकसान की भरपाई के लिए हमारा प्रयास है कि प्रदेश में शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा दिया जाए। सर्दियों में पर्यटन बर्फबारी देखने के लिए औली व अन्य क्षेत्रों में आए। उत्तराखंड में साहसिक पर्यटन का हब बनाने की दिशा में भी सरकार काम रही है।
उत्तराखंड को साहसिक पर्यटन का हब बनाने पर फोकस
पर्यटन विभाग की ओर से तीर्थाटन के साथ ही उत्तराखंड को साहसिक पर्यटन का हब बनाने पर फोकस है। इसके लिए गढ़वाल मंडल विकास निगम और कुमाऊं मंडल विकास निगम के माध्यम से नए पर्यटक स्थलों को विकसित करने की डीपीआर बनाई जा रही है। जहां पर एंगलिंग, पैराग्लाइडिंग, ट्रेल रन, माउंटेन बाइकिंग, रिवर, क्रॉसिंग, वॉटर रोलिंग, ऑफ-रोडिंग, हाइकिंग, सफारी समेत अन्य गतिविधियों के लिए देश दुनिया के पर्यटन उत्तराखंड आए।
महाभारत व रामायण सर्किट को केंद्र की मंजूरी का इंतजार
सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए महाभारत और रामायण सर्किट की योजना बनाई है। इसका प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया है। केंद्र से दोनों सर्किट को मंजूरी मिलने का इंतजार है। महाभारत सर्किट के तहत द्रोणनगरी देहरादून, लाक्ष्यगृह लाखा मंडल, स्वर्गारोहणी, बदरीनाथ सतोपंथ आदि स्थानों को शामिल कर निर्माण किया जाएगा। जबकि रामायण सर्किट में पौड़ी जिले के सीता माता मंदिर, जटायु मंदिर, भरत मंदिर को जोड़ा जाएगा। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज कई बार केंद्र सरकार के समक्ष दोनों सर्किट को विकसित करने का मुद्दा उठा चुके हैं।
ट्रैकिंग रूटों पर मिलेगी सुविधाएं
प्रदेश के ट्रैकिंग रूटों पर साहसिक पर्यटकों को सुविधाएं देने के लिए सरकार ने ट्रैकिंग ट्रक्शन सेंटर होम स्टे योजना शुरू की है। इस योजना से छह जिलों में 13 ट्रैकिंग सेंटर से 73 गांव अधिसूचित किए गए हैं। इन गांवों के युवाओं को ट्रैकिंग का प्रशिक्षण के साथ ही होम स्टे के लिए सरकार की ओर से एक कक्ष के निर्माण के लिए 60 हजार रुपए का अनुदान दिया जा रहा है।
रोपवे से जुडेंगे कई पर्यटक स्थल
पर्यटकों की सुविधा के लिए प्रदेश में सात पर्यटक स्थलों को रोपवे से जोड़ा जाएगा। जिसमें केदारनाथ, नैनीताल, हेमकुंड साहिब, पंचकोटी से नई टिहरी, औली से गौरसू, मुनस्यारी से खलिया टॉप, ऋषिकेश से नीलकंठ महादेव का निर्माण किया जाएगा।
इसके लिए सरकार ने सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के साथ एमओयू किया है। इसी साल कद्दूखाल से सुरकंडा और ठुलीगाड़ से पूर्णागिरी देवी मंदिर के रोपवे की सुविधा शुरू हो सकती है।