जोशीमठ से अभिषेक अग्रवाल की रिपोर्ट–उत्तराखंड का गठन हुए तो 20 साल बीत गए पर जोशीमठ ब्लाक के अंतर्गत आने वाले सीमांत गांव सूकी और भलगाव के ग्रामीणों का सड़क का सपना आज तक सपना ही बना हुआ है। सरकारें तो कई आई और चली गई पर इन ग्रामीणों के दर्द को किसी सरकार ने नहीं समझा। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार उनके द्वारा सरकार के नुमाइंदा अधिकारियों से दरख्वास्त लगाई गई परंतु आज तक सिवाय आश्वासनों के कुछ नहीं मिला।
ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव नजदीक आते ही नेता गांव के चक्कर काटने लग जाते हैं, आश्वासनों से भरे खूब भाषण भी गांव वालों के बीच में दिए जाते हैं पर ग्रामीणों का कहना है कि यह भाषण आज तक धरातल पर नहीं उतरे और यह भी कहना है कि सीमांत क्षेत्र होने के कारण ग्रामीणों को कई किलोमीटर पैदल चलकर अपने रोजमर्रा के काम करने पड़ते हैं। छोटे-छोटे बच्चों को पैदल स्कूल भी जाना पड़ता है तो एक तरफ बीमार व्यक्तियों तथा गर्भवती महिलाओं को कई किलोमीटर दूर पैदल चलकर अपना इलाज करवाना पड़ता है।
ग्रामीणों का कहना है कि इन सब से उन्हें कई प्रकार की समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है पर अब ग्रामीणों ने सरकार के झूठे आश्वासनों से तंग आकर आगामी 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करना सुनिश्चित कर लिया है। ग्रामीणों ने कहा कि यदि 2022 से पहले नेताओं के आश्वासन धरातल पर नहीं दिखाई दिए तो ग्रामीण 2022 के विधानसभा चुनावों का पुरजोर विरोध और बहिष्कार करेंगे जिसकी जवाबदारी सरकार के नुमाइंदा अधिकारियों और मंत्रियों की होगी। ग्रामीणों में दुख इतना है कि गांव के बुजुर्ग कह रहे हैं यदि सड़क हमारे मरने से पहले ही बन जाए तो अच्छा होगा।
गांव के बुजुर्ग व्यक्तियों का कहना है कि सड़क के सपने देखते देखते हमारे बाल सफेद हो गए पर आज तक गांव सड़क से नहीं जुड़ पाया तो वहीँ एक युवा का गुस्सा जब फूटा तो उसका कहना था कि हमने बचपन से लेकर 12वीं पास कर ली न जाने नेताओं के कितने चक्कर गांव में लगे पर सड़क आज तक नहीं बनी। हम तब भी पैदल ही दर दर की ठोकरें खा रहे थे और आज भी खा रहे हैं और अब ग्रामीणों ने नारा लगा दिया है जब तक रोड नहीं तब तक वोट नहीं।