उत्तराखंड

फटी जींस, गैर हिंदुओं के मंदिर में बैन और त्र‍िवेंद्र सरकार के फैसले पलटने पर बेबाकी से बोले CM तीरथ स‍िंह रावत, पढ़ें एक्सक्लूसिव इंटरव्यू

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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने न्यूज 18 को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा कि देवभूमि की संस्कृति को जो भी कलंकित करने का प्रयास करेगा उसकी जगह पहले तो जेल में होगी, नहीं तो उससे भी ऊपर कोई जगह उसके लिए निश्चित होगी. तीरथ सिंह रावत न्यूज 18 संवाददाता दीपांकर भट्ट द्वारा हिंदू युवा वाहिनी को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे. हिदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं ने देहरादून और उसके आसपास के मन्दिरों में गैर हिंदुओं का मंदिर में प्रवेश वर्जित है के बैनर लगाए थे. सीएम ने कहा कि ये देवभूमि है, जहां शंकराचार्य ने भी तपस्या की इसलिए यहां की संस्कृति कोई को कलंकित करने का काम करता है तो बख्शा नहीं जाएगा. सीएम ने कहा कि अपनी संस्कृति को बचाने के लिए यदि युवाओं को यह करना पड़ा तो इसमें क्या बुरा है.

सीएम ने कहा कि प्रदेश का चन्नहमुखी विकास करना, आमजन को सुविधाएं देना, नौजवानों के हाथों को मजबूत करना, माता-बहनों के सर से बोझा कम करना, सड़क, पानी, बिजली और स्वास्थ्य, शिक्षा ठीक हो ये मेरी प्राथमिकता है और इसी को लेकर हमारी सरकार आगे बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की उपलब्धियों को सरकार और संगठन मिलकर के आगे बढ़ेंगे. मुझे लगता है कि हमारी सरकार में जितना काम हुआ है, शायद ही पहले कभी कांग्रेस के राज में हुआ होगा.

कुंभ आयोजन पर क्‍या बोले उत्‍तराखंड के सीएमपूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत के फैसलों को पलटने वाली बात पर तीरथ ने कहा कि पहली सरकार भी बीजेपी की ही थी. ऐसा नहीं है कि अब कोई दूसरी सरकार है. हमारी सरकार को चार साल हो गए. अब एक और साल है फैसले पलटने जैसा दूर-दूर तक नहीं है. हमने जनता की आवाज को सुनना है और जनता की आवाज को सुनते हुए यह सब हम कर रहे हैं. कुंभ की बात करें 12 साल बाद कुंभ आता है. लोग पहले से ही मन बनाए होते हैं कि मुझे कुंभ में जाना है नहाना है और दूसरा जो अखाड़ा परिषद है, साधु संत समाज है वह भी पूरी तरह कुंभ से जुड़ा हुआ है. उसका भी भव्य स्वागत हो और जनता जनार्दन भी कुंभ में आए, लेकिन भारत सरकार की जो गाइडलाइन हैं मास्क लगाएं, सैनिटाइजेशन करें, गाइडलाइन का पालन करते हुए स्नान किया जाए. हां पुलिस प्रशासन की ओर से कोई जबरदस्ती होती है तो वह नहीं होने दी जाएगी.
केस वापस लेने के मामले में क्‍या है उत्‍तराखंड के सीएम की सफाई

तीरथ स‍िंह रावत ने कहा क‍ि पहले ही दिन जब महाशिवरात्रि का स्नान हुआ तो उसमें हमने इतना ही किया कि हेलीकॉप्टर से फूल बरसाए. अखाड़ा साधु संतों का स्वागत किया. मैं भी गया, मैंने भी स्वागत किया. इसको कोई फैसला बदलना नहीं कहते हैं. यह नया विस्तार हमने दिया है. अधिकतम बसें लगाने के बात भी मैंने की. बॉर्डर पर मास्क और सैनिटाइजर के स्टॉल लगाने के निर्देश दिए. इसमें क्या बुरा है? इस फैसले के कारण पूरा उत्साह लोगों में बना] अखाड़ा परिषद उत्साहित हुआ, व्यापारी भी खुश हुए. कोविड-19 में लॉकडाउन के दौरान संस्थाओं, नौजवान भाई- बहनों ने बढ़-चढ़कर के राहगीरों को भोजन खिलाया. ये सब घर में बैठकर तो नहीं हो सकता था. घर से बाहर निकलना ही पड़ता है. उन्होंने कोई चोरी तो नहीं कि अच्छा काम किया, लेकिन उन पर मुकदमें ठोक दिए गए थे. मैंने आते ही ऐसे साढ़े 4 हजार से भी अधिक मुकदमें वापस लेने का काम किया, तो इसमें गलत क्या किया?

जहां तक विकास प्राधिकरण है का सवाल है पर्वतीय क्षेत्र में लोगों के लिए मुसीबत बन गया था. कोविड-19 में प्रवासी बहुत बड़ी मात्रा में लौट कर आए, वो चाहते थे अपने गांव अपना ठिकाना बना लें. मेरे सामने प्रत्यक्ष उदाहरण थे विकास प्राधिकरण होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में लोग घर नहीं बना पाए रहे थे. पहाड़ों में आदमी के पास एक मुट्ठी जमीन होती है 15 मुट्ठी जमीन होती है, कितने में अपना मकान बनाएगा, कितने में प्राधिकरण के अनुसार, जगह छोड़ेगा, नक्शा पास कराने में बहुत सारी दिक्कतें थी. ऐसे में तो मकान जिंदगी भर नहीं बन पाएगा. मैंने कहा क‍ि नगरपालिका, नगर पंचायत के बाहर इसकी जरूरत नहीं है. इसके लिए निर्णय लिया कि पूर्व में 2016 से नगर निगम, नगर पालिका में जो व्यवस्था थी वह यथावत रहेगी. शेष क्षेत्रों में प्राधिकरण नहीं होना चाहिए. मंत्रिपरिषद ने मुहर लगाई और हमने लागू कर दिया, तो इसमें क्या बुरा किया.

सीएम तीरथ ने कहा क‍ि हम अपने लिए थोड़े ना आए हैं. अपने ले आए होते तो हम भी कहीं होते. हम जनता के लिए हैं, जनता के सेवक हैं, जनता चाहती है विकास वो हमको करना है. गैरसैण कमिश्नरी के मुद्दे पर रावत ने कहा कि इससे आम आदमी नाराज था. जहां आदमी आधे घंटे में पहुंच सकता था दर्शन कमिश्नर बनने के बाद उसको 4 घंटे लगते हैं इसीलिए जनता को सुविधा चाहिए थी. हमने कहा हम इस पर भी सोचेंगे क‍ि इससे जनता में एक उत्साह बने.
देवस्थानम बोर्ड पर क्‍या बोले तीरथ स‍िंह रावत
देवस्थानम बोर्ड पर बोलते हुए सीएम तीरथ रावत ने कहा कि बोर्ड बनाने के पीछे कोई गलत धारणा नहीं थी. मकसद था कि चार धामों का एक बड़ा स्वरूप सामने आए, लेकिन हमारे चारों धामों में विभिन्न प्रकार के अधिकार हैं. पूजा की प्रथा अलग है. पंडा पुरोहित हैं, मैंने कहा कि उनके हक छीने नहीं जाने चाहिए. ये उनका अधिकार है. शंकराचार्य के समय से व्यवस्था बनाई है. किसी ने ये नई व्यवस्था नहीं बनाई. आज मैं कहता हूं उसमें क्या ठीक हो सकता है? अच्छा हो सकता है. पंडा पुरोहित समाज को पूछेंगे. उन सब से बात करते हुए आगे बढ़ेंगे. कुल मिलाकर हम इसमें भी विचार करेंगे. हम जनता की भावनाओं से कोई खिलवाड़ नहीं करेंगे. बीजेपी जो जो बोलती है वह करती है. हम जनता से जो वादा करते हैं उसे पूरी तरह से निभाते हैं. हम देवस्थानम बोर्ड पर विचार करेंगे.लोकायुक्त पर सीएम ने कहा हम इस पर विचार करेंगे. भी तो मैं आया हूं बैठा हूं विचार करेंगे किस में क्या हो सकता है.

बयानों पर हुए व‍िवाद पर क्‍या है तीरथ सिंह रावत की सफाई

विवाद वाले अपने बयानों पर सीएम ने कहा स्वाभाविक भी है कि कभी-कभी कुछ बोलने में हो जाता है. ऐसा नहीं कि मैंने कुछ गलत कहा क‍ि मैंने कहा कि समाज क्या चाहता है? यह उत्तराखंड देव भूमि है यहां तो देवताओं का वास रहा है. ऋषि मुनियों का वास रहा है. तीलू रौतेली से लेकर झांसी की रानी ने हाथों में तलवार लिए साड़ी ब्लाउज में युद्ध किया था. ये हमारी संस्कृति है. सीएम ने कहा जींस पहनना बुरा नहीं है, लेकिन फटी जीन्स पहनकर हम कहां अपने को लेकर जा रहे हैं. हमारी संस्कृत क्या है? हमारी पहचान क्या है? यह मैंने बोला तो क्या बुरा बोला. यदि किसी को ठीक नहीं लगता. कोई फटे कपड़ों को ही अच्छा मानता है, तो अच्छा है बढ़िया है, कोई जबरदस्ती नहीं.



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