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कर्मकार कल्याण बोर्ड में भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार, सीबीआई जांच जरूरी: आप

daily post Bureau report Dehradun

उत्तराखंड कर्मकार कल्याण बोर्ड में ए जी ऑडिट के दौरान,रोजाना नए मामले खुल रहे है जिससे इस बोर्ड में बड़े भ्रष्टाचार का मामला दिखाई दे रहा है। आप उपाध्यक्ष , मेजर जरल (रिट.) सी के जखमोला ने एक बयान जारी करते हुए कहा, इस बोर्ड में श्रमिकों के नाम पर बहुत बड़ा घोटाला हुआ है जिसकी परत दर परत लगातार ऑडिट में खुलती जा रही है अब एक नए मामले ने बोर्ड में हुए भ्रष्टाचार पर मुहर लगा दी जिसमें बोर्ड से 20 करोड रुपये ऐसे अस्पताल बनाने के लिए दिए गए , जिसका धरातल पर कोई अस्तित्व ही नहीं है। यानि सीधे तौर पर करोड़ों का घोटाला।

आप उपाध्यक्ष ने कहा, त्रिवेंद्र राज मे भ्रष्टाचार फल फूल रहा है और सरकार जीरो टोलरेंस के जुमले से जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। जीरो टॉलरेंस की बात कहने वाली सरकार अपनी ही कथनी और करनी पर घिर चुकी है। एक तरफ मुख्यमंत्री कहते हैं कि राज्य में भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा , लेकिन कर्मकार कल्याण बोर्ड में 4 वर्षों से जो घपला हो रहा था, और अब परत दर परत खुलते मामलो पर वो चुप बैठे हैं । आखिर कैसे वो इसको नजरअंदाज कर सकते हैं ।
आप उपाध्यक्ष जखमोला ने कहा,इस मामले में जांच ऑडिट के बजाय सीधे तौर पर सीबीआई को दे देनी चाहिए ताकि ऑडिट के दौरान जांच प्रभावित ना हो और दूध का दूध ,पानी का पानी हो सके । आम आदमी पार्टी शुरू से इस मामले पर सीबीआई जांच की मांग करती आई है और अब भी आप मांग करती सरकार को कर्मकार कल्याण बोर्ड में हुए घोटाले की जांच तुरंत सीबीआई को देकर ,जनता की गाढ़ी कमाई को बंदरबांट करने वालो पर शिकंजा कसने का काम करना चाहिए।

इसके अलावा आप उपाध्यक्ष ,जखमोला ने कहा,क्या मुख्यमंत्री ने प्रदेश में हो रहे भ्रष्टाचार पर अपनी आंखें बंद कर रखी हैं,उनकी नाक के नीचे ही करोंडों का भ्रष्टाचार हो जाता है, और उन्हें अपने कार्यकाल के 4 साल पूरे होने के बाद ऐसी घटनाएं नजर आती हैं। कोटद्वार में ऐसे अस्पताल के लिए 20 करोड़ रुपए स्वीकृत किए जाते जिसका कोई आस्तित्व धरातल पर नहीं है । जब अस्पताल बनाने की अनुमति ,ना तो केन्द्र सरकार ने दी थी, और ना ही राज्य सरकार द्वारा दी गई थी ,तो आखिर कैसे इतनी बडी रकम बोर्ड द्वारा स्वीकृत की गई।

सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि बोर्ड इस अस्पताल के लिए 50 करोड रुपये देने वाला था,जिसकी पहली किश्त , 20 करोड रुपये ईएसआई के बजाए निर्माण एजेंसी ब्रिज एंड रुफ नाम की एजेंसी को दे दिए। जिसके पीछे एक बहुत बडे भ्रष्टाचार की बू नजर आती है। अब ये मामला खुलते ही ऐसे कई मामले खुलेंगे जिससे असलियत आएगी कैसे प्रदेश में जनता के पैसों की बंदरबाट से जनता के साथ मज़ाक किया जा रहा जिसकी तुरंत जांच सीबीआई को दे देनी चाहिए। अगर सरकार जल्द ही जांच सीबीआई को नहीं सौंपेगी तो आप कार्यकर्ता सड़कों पर उतरकर इस भ्रष्टाचार के खिलाफ जनांदोलन करेंगे और सूबे की भ्रष्ट सरकार को जगाने का काम करेंगे ताकि प्रदेश में जनता की गाढ़ी कमाई की कोई बंदरबांट ना कर सके ।

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